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शनिवार, 11 मई 2024

योगमाया मंदिर,मेहरौली,दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में स्तिथ  माँ योगमाया का शक्तिपीठ मंदिर है। देवी योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन हैं। मेहरौली इलाके में सिद्धपीठ माँ योगमाया मंदिर का रिश्ता विंध्याचल की माँ विंध्यवासिनी मंदिर से भी एक रिश्ता है।


Maa Yogmaya



माँ योगमाया मंदिर पौराणिक इतिहास:


    पुराणों के अनुसार देवी योगमाया मंदिर के निर्माण का श्रेय भगवान श्री कृष्ण और युधिष्ठिर दोनों को द्वापरयुग में अलग - अलग काल का दिया जाता है। मंदिर बनवाने का श्रेय स्पष्ट रूप से किसको जाना चाहिये एक ऐसा विषय हो सकता है जिसका कोई स्पष्ट उत्तर पुरातात्विकसाक्ष्य के अभाव में नहीं दिया जा सकता। योगमाया मंदिर मात्र 6000 वर्ष पुराना,

इतना पुरातात्विक प्रमाण है।



कुरुक्षेत्र के युद्ध के समय जयद्रथ ने चकरव्यूह में फंसे रहब के पुत्र अभिमन्यु का निर्ममता से वध कर दिया था। इसके पश्चात् अर्जुन ने अगले दिन संध्या होने के पूर्व जयद्रथ का वध करने का वचन लिया था। अगली सुबह से कौरवों ने जयद्रथ को पांडवों के आमने-सामने आने से बचाते रहे। ऐसे परिस्तिथि में जयद्रथ का वध असंभव होता दिखाई दे रहा था। श्रीकृष्ण ने अर्जुन के साथ इस योगमाया से इस मंदिर में प्रार्थना की। योगमाया देवी जो श्री कृष्ण भगवान के अधीन आती है - अपनी माया का प्रभाव दिखा के कुछ समय के लिये सूर्यग्रहण कर दिया जिससे संध्याकाल होने का भ्रम कौरवों को हो गया है। जिसके चलते जयद्रथ निश्चिंत हो कर युद्धभूमि में अर्जुन से सामना हुआ। अर्जुन ने मौके का उपयोग उठकर जयद्रथ का अंत कर दिया था। 




एक अन्य कथा अनुसार श्री कृष्ण ने माँ योगमाया की पिंडी की स्थापना करवाई थी। कुरुक्षेत्र युद्घ पश्चात् भगवान श्री कृष्ण के अनुग्रह पर पांडवों के माँ योगमाया के पिंडी रूप की पूजा कर पाप अक्षय किया था।


द्वापरयुग के अंत के बाद मंदिर काफी समय के लिये लुप्त हो गया। कालांतर में मंदिर के आस-पास घने जंगल ही गये थे। चौहान वंश के महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय से मंदिर में पूजा होती आयी है। पृथ्वीराज चौहान के काल में महमूद ग़ज़नवी ने माँ योगमाया मंदिर पर चढ़ाई कर मंदिर को नष्ट किया था। फिर भी योगमाया मंदिर में पूजा बंद नहीं हुई। 



दिल्ली के इतिहास के अंतिम महान हिंदू राजा हेमचन्द्र(हेमू) के समय में योगमाया मंदिर का जीर्णोद्धार,पुनरुत्थान और नवीनीकरण करवाया था। हेमचंद्र(हेमू) के बाद मुग़लों का क्रूर शासन आरंभ हुआ। मुग़ल आक्रमणकारी औरंगज़ेब ने मंदिर पर चढ़ाई की थी किंतु माँ योगमाया की माया ने उसकी बुद्धि को घुमा दिया और उसने चढ़ाई रोक दी। चढ़ाई के रूप में आज भी एक मजार जैसी पत्थर की आकृति योगमाया मंदिर में देखी जाती है। इन दिल्ली के अधिकतर मंदिरों को सफाई में चुनिंदा मंदिर ही बच गये थे। अन्यथा माँ योगमाया मंदिर की मस्जिद बनाकर दुर्दशा की गई होती। सन् १८२७ में राजा सेठ मल द्वारा जीर्णोद्बर करवाया गया। ऐसा बताया गया है कि मुग़लो के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर ने मंदिर एक छत्र चढ़ाया था। 


विग्रह में माँ योगमाया


 

माँ योगमाया मंदिर:


माँ योगमाया सिद्धपीठ मंदिर दिल्ली के बहुत माने गये मंदिरों की सूची में है। भक्तों को प्रगाढ़ आस्तग का केंद्र है योगमाया मंदिर। मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर धातु से बने हुये दो सिंहो की प्रतिमा दिखाई देती है। माँ योगमाया के गर्भगृह में पिंडी पर रेशमी वस्त्र पहनाए जाते है। रेशमी वस्त्रों के ऊपर एक मुकुट पहनाया जाता है। गर्भ गृह छोटा होने के करण एक समय मे अधिक लोग पूजा नहीं कर सकते। माँ योगमाया मंदिर के गर्भगृह के बाहर छत पर शेषनाग बने हुए है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई है। माँ योगमाया मंदिर के भीतर दीवारों पर भित्ति चित्र आगन्तुकों का ध्यानाकर्षण करते है। माँ योगमाया मंदिर में भगवान गणेश, भगवान कल्कि और भैरवनाथ के विग्रह कांच के दरवाजे के अंदर विराजे हैं। महादेव का शिवलिंग भी माँ योगमाया के गर्भगृह के निकट प्रतिष्ठित है। भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान कल्कि के विग्रह के पीछे उनके बारह अवतार के भी चित्र बनाये गये है। माँ योग माया मंदिर के अंदर उत्तर दिशा में एक जोहड़(जल कुंड) भी है। इस कुंड का नाम है अनंग ताल किंतु इसे ढूंढना कठिन है।



योगमाया मंदिर में वत्स कुल के ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा पूजा की जाती है। इन्ही के हाथ में योगमाया मंदिर प्रबंधन और संचालन है। मुख्य मंदिर की पूजा पुरुष पुजारी ही करते है। योगमाया मंदिर में श्री दुर्गासप्तशती का नित्य पाठ द्वारा पूजा अनुष्ठान किया जाता है। 




माँ योगमाया मंदिर त्योहार और उत्सव:


माँ योगमाया मंदिर में १९ वी सदी के आरंभ से फूल वालों का मेला आयोजित किया जाता रहा है। पुरानी दिल्ली के फूलों की मंडी से फूल वाले हाट से बने पुष्प पंख चढ़ाने आते रहे हैं। कुछ साल पूर्व इस उत्सव में सम्मिलित होने वालों की कमी नज़र आई है। श्रावण मास से लेकर अक्टूबर माह के आरंभ तक माँ योगमाया मंदिर में इंद्र ध्वज उत्सव मनाया जाता है। 



नवरात्रों के दिनों में माँ योगमाया के दर्शन् के लिये भारी संख्या में भक्त दिल्ली, एन. सी. आर. और पड़ोसी राज्यों से दर्शन करने आते है। दिल्ली रहय में माँ शक्ति का सबसे निकट सिद्धपीठ माँ योगमाया मंदिर है। 


दस महाविद्याओं के शक्तिपीठ और सिद्धपीठ देखें:







योगमाया मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य:


■ माँ योगमाया मंदिर सातवी सदी मे मंदिर लाल कोट तोमर राजाओं की भित्तियों के दुर्ग का हिस्सा हुआ करता था।


■ योगमाया मंदिर दिल्ली के पांच प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह पांचों मंदिर द्वापरयुगीन है। 


■ अंग्रेजों क विरुद्ध १८५७ की क्रांति की योजना माँ योगमाया मंदिर के प्रांगण में बनाई गई थी। 



योगमाया किसकी पुत्री थी?

देवी योगमाया नन्द बाबा और देवी यशोदा की पुत्री थी। माँ का जन्म श्री कृष्ण के जन्म के पूर्व ही हो गया था। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा अनुसार कारागृह से रात्री समय में पिता वासुदेव ने कंस और उसके सैनिकों से बचकर प्रभु की कृपा से प्रभु को गोकुल में नन्द गांव और माता यशोदा तक गुप्-चुप पहुंचाया था। उस अर्द्धरात्री को वासुदेव ने नन्द बाबा और यशोदा की पुत्री जो माँ योगमाया थी अपने साथ टोकरी में रखकर कारागृह में देवकी के पास रख दिया। अगली सुबह जब कंस को देवकी के 8वे पुत्र के जन्म के बारे में पता चला, तब माँ योगमाया को 8वा पुत्र समझ कर देवकी से झपट लिया और कारागृह की दीवार पर पटक ने ही वाला था तब माँ अष्टभुजी रूप लिये हुए प्रकट ही गयी। माँ योगमाया ने कंस उसे चेताया - की उसका वध करने वाला पहले ही गोकुल में जन्म ले चुका है। यह कह कर माँ योगमाया अंतर ध्यान हो गयी। माँ योगमाया के उस शिशु शरीर के दो भाग हुए। सिर वाला भाग पिंडी रूप में योगमाया रूप में और धड़ वाला भाग विंध्याचल पहाड़ पर माँ विंध्यवासिनी रूप में पूजा जाने लगा।



योगमाया किसका अवतार है?योगमाया किसकी बहन थी?योगमाया किसकी कुलदेवी है?

माँ योगमाया, माँ शक्ति का ही स्वरूप है। माँ श्री कृष्ण को बड़ी बहन है। इनसे भी माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और माँ काली का अस्तित्त्व प्रकट होता है। देवी योगमाया दिल्ली के चौहान राजपूतों की कुलदेवी है।


Jayadrath Vadh
जयद्रथ वध केवल (चित्रण हेतु)



 योगमाया मंदिर आरती समय:

माँ योगमाया की आरती सवेरे 7 बजे और संध्या 6:30 बजे की जाती है।



 माँ योगमाया मंदिर कैसे पहुँचे:

माँ योगमाया मंदिर दिल्ली राज्य में होने से देश के अभी शहरों से हवाई रेल और सड़क मार्ग से सम्पर्क में है। 


हवाई मार्ग से मंदिर तक पहुँचने के लिये दिल्ली के अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्राइवेट कैब या बस करके वसंत महिपालपुर से होते हुए वसंत कुंज के रास्ते पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से दिल्ली महानगर मेट्रो, बस और कैब द्वारा आसानी से पहुँचा जाता है। नई दिल्ली के पहाडग़ंज स्टेशन के रामकृष्ण मिशन मेट्रो स्टेशन से छतरपुर मेट्रो स्टेशन उतरकर कुतुबमीनार संकुल के लिये ऑटो य्या कब तुरंत मिल जाती है।


✒️स्वप्निल. अ 

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