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रविवार, 5 मई 2024

माँ छिन्नमस्तिका मंदिर, रामगढ़, झारखंड

 दस महाविद्याओं में पांचवी महाविद्या माँ छिन्नमस्ता का जागृत सिद्धपीठ झारखंड के रजरप्पा की मनोहारी सिकदरी घाटी में बसा है। रजरप्पा और रामगढ़ के निवासियों की कुल देवी माँ छिन्मस्तिका है। रामगढ़ गांव का यह क्षेत्र एक वनों से घिरा हुआ है। प्रकृति की गोद के मध्य बसे माता के मंदिर में मन तुरंत तन्मय हो जाता है। 


शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

बाबा कीनाराम

 बाबा कीनाराम के चमत्कार 


"जो न दे राम वो दे बाबा कीनाराम"


 सनातन धर्म मे तंत्र के महानतम अवधूतों में से एक थे "अवधूत बाबा कीनाराम"। तंत्र के विषय मे बाबा कीनाराम का जीवन अनेकों अविश्वसनीय से या पौराणिक कथाओं जैसे लगने वाले कार्य लोकहित के के लिये किये थे। अघोरी शब्द सुनते ही जादू टोना, टोटका, श्मशान प्रेत आत्माएँ मानव खोपड़ी-कंकाल के दृश्य मन मस्तिष्क में घूमने लगते है। डर का साया और श्मशान में निवास करने वाले साधकों की छवि घूमने लगती है। मानव समाज में व्याप्त सांसारिकता और भौतिकवादी मानसिकता के कारण कुछ तांत्रिकों ने तंत्र और वाममार्ग साधना की एक अत्यंत वीभत्स और घृणित तस्वीर देश और दुनिया में स्थापित कर दी है। इसके विपरित तंत्र वह नहीं जो सामान्यतः माना जाता रहा है। अपने समय से भी आगे रहकर बाबा स्त्री सम्मान, व्यक्तिगत शुचिता और नशे से बचने की मुहिम जन-जन में जगाई थी। इन बातों से एक सच्चे धर्म परायण तांत्रिक की छवि बाबा ने बनाई थी। बाबा कीनाराम का अवतरण मानो तंत्र को नई दिशा देने के लिये हुआ था। 



रविवार, 14 जनवरी 2024

आघोरी बामाखेपा

"अघोर साधना में तीन प्रकार के साधक होते हैं। पहले पशु जो अपनी पशुओं वाली मूल इच्छाओं को पूरा करने के लिए साधना करते हैं, दूसरे वीर जो मूल इच्छाओं को त्याग ऊपर उठने के लिए साधना करते है और तीसरे वे दिव्य आत्माएं जो इन सारे सांसारिक इकच्छाओं से भी आगे ईश्वर में लीन होना चाहते हैं। अघोरी बामाखेपा उन्हीं दिव्य अवधूतों की प्रजाति में आते थे।"

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

मां बगलामुखी कौन है?

मां बगलामुखी कौन है?

दशम महाविद्याओं में से अष्टम महाविद्या - माता बगलामुखी है। माता बगलामुखी का वैदिक नाम वल्गामुखी जिसका अर्थ है "लगाम"। इसके अनुरूप माँ को बगला, वलगामुखी, वल्गामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या और पीताम्बरा नामों से पुकारा जाता है। वेदों कि "वल्गा" तंत्र में "बगलामुखी" है। 

माता बगलामुखी अष्टम महाविद्या है और इन्हें मूलतः"स्तम्भनकारी महाविद्या" के रूप में भी जाना जाता है। भगवान नारायण और माता त्रिपुर सुंदरी, दोनों के तेज से निकलने के कारण इनका कुल श्रीकुल है और यह वैष्णव शक्ति है। 


माँ की साधना में पीत रंग सामग्री का प्रयोग अति आवश्यक है। जिसमे आसन से लेके माँ को चढ़ाया जाने वाला प्रशाद भी पीले रंग का होता है। पीली बाती, पीला चोला, पीला आसन और माता की पीले फूलों की माला। माता को हल्दी की माला चढ़ाने से मात अति प्रसन्न होती हैं। 


माँ पीताम्बरा बगलामुखी


माँ पीताम्बरा

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 माता बगलामुखी के तीन चमत्कारिक मंदिर है। पहला मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में, दूसरा पीताम्बरा पीठ, दतिया धाम में माता धूमावती माता का और तीसरा उज्जैन के पास नलखेड़ा, मध्यप्रदेश में। 

यह तीन धाम माता की असीम शक्तियों से लैस हैं। यहां पहुँचने वालों मैं राजा भी होते हैं और रंक भी। यहां माता की सच्चे हृदय से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है। चाहे शत्रु पर विजय हो या मारण, मोहन वशीकरण से मुक्ति पाना। 


हम जानेंगे शाक्त-तंत्र परम्परा में यह मंदिर क्यों इतने गुप्त और रहस्यमयी हैं। इनके पीछे के बनने की कथा  और इनहें स्थापित करने वाले योगीयों के जीवन के रहस्य। 


नलखेड़ा धाम

कांगड़ा धाम


धूमावती माता, दतिया धाम

 

योगमाया मंदिर,मेहरौली,दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में स्तिथ  माँ योगमाया का शक्तिपीठ मंदिर है। देवी योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन हैं। मेहरौली इलाके में...