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शनिवार, 30 सितंबर 2023

डॉ हनुमान मंदिर, भिंड, मध्यप्रदेश

दंदरौआ सरकार मंदिर मे विराजे हनुमंजी - हनुमान चालीसा की पंक्ति "नासे रोग हरे सब पीड़ा, जपत निरंतर हनुमत बीरा" इसको पूर्णतः साकार करती है।

गोपी रूप और नृत्य मुद्रा में भला बजरंग बली की हमने शायद ही कल्पना की होगी। भिंड जिले के माहेगावं तहसील के दंदरौआ गांव में मनमोहक छवि लिए दर्शन देने बैठे है अंजनी पुत्र जिन्हें यहाँ डॉ हनुमान या दंदरौआ सरकार के नाम से भी बुलाया जाता है। 

 इतिहास:


दंदरौआ सरकार जी का मंदिर 500 वर्ष प्राचीन् माना गया है। रोड़ा रियासत के चंदेल राजवंश में राजा अमृत सिंह बजरँगबली के बड़े भक्त थे। लंबी साधना, सेवा के बाद राजाजी को आंजनेय ने स्वप्न में दर्शन देकर अपनी उपस्थिति विग्रह रूप में बताई। मूर्ति, नगर के पास एक तालाब के अंदर प्रकट हुई थी। उसी स्वप्न में प्रभु कहा मेरा यहां गुजारा नहीं होगा सो मुझे यहां से दंदरौआ ले के जाएं। राजा ने तुरंत आदेश पूरा किया। 


गोपी वेषधारी आंजनेय



स्वामी रामदास जी महाराज:


प्रातः स्मरणीय संत श्री रामदास जी महाराज मंदिर के महंत और प्रमुख पुजारी हैं। रामदास जी का जन्म भिंड जिले के ही मंडरौली ग्राम में एक सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका बचपन का नाम राम नरेश था और रामदास बनाने का कार्य इनके गुरु और मंदिर के महंत पूर्व ब्रह्मलीन 1008 संत श्री पुरुषोत्तम दास बाबाजी महाराज ने किया था।संत पुरुषोत्तम दास जी महाराज के गुरु थे ब्रह्मलीन गुरुबाबा श्री श्री 108 बाबा लछमन दास जी(उर्फ मिटे बाबा)।दंदरौआ धाम उनकी तपस्थली भी थी। 


राम नरेश को ज्योतिष का ज्ञान बालक राम नरेश ने जब कक्षा 8 वीं पास कर ली तब मंदिर के पुजारी जीवनलाल जी दृष्टि पड़ी और उन्होंने इन्हें ज्योतिष सिखाने का निश्चय किया। इस दौरान में स्वामीजी का अपने घर परिवार से सम्बंध कम होता गया। 


संत रामदास जी बालपन से शांत और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण उन्हें धीरे-धीरे मंदिर संभालने की जिम्मेदारी दी गयी। संत जी ने आश्रम में गौशाला भी खोली है जो वृंदावन की गौशालाओं से कम नहीं आंकी जा सकती हैं। सनातन धर्म को बुलंद करने के लिए महाराज जी ने संस्कृत विद्यालय भी बच्चों के लिए खोला है। 


पूज्य महंत स्वामी राम दासजी महाराज



दंदरौआ सरकार मंदिर:


मंदिर में हनुमान जी के विग्रह को गोपी वेश और डॉक्टर के सफेद वस्त्र पहनाया जाता है। बजरँगबली की मूर्ति चमत्कारी है। यहाँ विराजे बजरँगबली आने वाले श्रद्धालुओं की हर प्रकार की पीड़ा चाहे मानसिक या शारीरिक दोनों तरह से नष्ट करने के लिए जाने जाते है। बजरंगी डॉक्टर और मजिस्ट्रेट के बनके बिमारियों और किसी भी प्रकार के कोर्ट-कचहरी की मुश्किलों का निवारण करते है और यह अनेक भक्तों ने यहां आने के बाद अपने अनुभव साझा किए है। मंदिर में एक बार आंजनेय के डॉक्टर रूप में दिव्य दर्शन करने पर और सच्चे हृदय से प्रार्थना करने पर अवश्य पूरी होती है। इसमें कोई संदेह नहीं ऐसा दंदरौआ ग्राम के वासी बताते हैं। 


जिस किसी भी विपदा में मनुष्य फंसा हो यहां अगर कोई पाँच मंगलवार करले उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाते है। ला इलाज बीमारियों के लिए श्रृधेय स्वामी रामदास जी महाराज भभूति और बजरँगबली को चढ़ाया गये जल के सेवन के लिए कहते है। इसके सेवन से आज तक सैंकड़ो मरीजों को हर तरह के कष्टकारी रोग से मुक्ति मिली है। 


मंदिर में हनुमान मंदिर के बाहर हनुमान जी को समर्पित एक गदा रखी गयी है। भक्त प्रभु को झूला झूला सके इसके लिए एक झूला मंदिर के भीतर बना हुआ। इसे भक्त हिलाते डुलाते है जैसे इसमें प्रभु को लेटा देख रहे हो और सेवा दे रहे हो। 


भला ऐसा हो सकता हो कि जहाँ बजरंगी का इतना विशेष मंदिर हो और वहां उनके और सबके स्वामी प्रभु श्री राम ना हो? बिल्कुल भी नहीं। इसलिए मंदिर प्रभु श्री राम, माता जानकी और लक्ष्मण का भी मंदिर बनवाया गया सरकारहैं। रामनवमी और श्री हनुमान प्राकट्य दिवस हर्षोल्लास के साथ और सारी रीतियों के साथ मनाया जाता है। 



दंदरौआ मंत्र:


सनातन वैदिक धर्म अनुसार देवी-देवताओं के नाम, शक्तियों और गाथाओं को एक विशेष प्रकार की प्रार्थना  में संघटन कर उसका पाठ किया जाता है तब उस देवता(या) उस दिव्य ऊर्जा उससे सम्बंधित पीड़ा पर पहुंच उस पर कार्य करती है। दंदरौआ धाम का चमत्कारी  मंत्र है ''ॐ श्री दं दंदरौआ हनुमंते नमः"। इस मंत्र में ॐ और बाकी शब्दों का शाब्दिक अर्थ इस प्रकार है:-

   "ॐ" में त्रिदेवों महादेव, विष्णु और ब्रह्म की शक्तियां समाहित हैं। प्रकृति के तीन गुण सत, तमस और रजस - तीनों के मनुष्य के स्वास्थ्य के आवश्यक संतुलन को दर्शाता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए मनुष्य शरीर में वात, पित्त और कफ भी आवश्यक है नहीं तो यह बीमारी बनने का कारण होता है। "श्री" - महालक्ष्मी को चिन्हित करता है जो पीड़ित मरीज को अच्छे स्वास्थ्य और वैभव का आशीर्वाद देती है। 'दं' -भगवान हनुमान के समक्ष दया का भाव उतपन्न करता है। 'द' - दान का जो धर्म और मोक्ष की कामना जगाता है। 'रौ' -कष्ट, दुख और रोगों के नाश को दर्शाता है। 'आ' - का अर्थ, आने वाले पीड़ित सुख और प्रसन्न हो वापिस जाते है। 



श्री हनुमान गदा

बुधवा मंगल हर वर्ष सितंबर महीने में मनाया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालु दर्शन करने दंदरौआ धाम आते हैं। 






 

दंदरौआ सरकार कैसे पहुँचे:


दंदरौआ ग्राम चिरोल और धमोर गांवों के बीच बसा है। यह क्षेत्र सड़क मार्ग से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। सबसे करीबी शहर ग्वालियर है। दंदरौआ पहुँचने के लिए डबरा-मौ मार्ग से ६५ -७० किमी का दूरी है। सरकारी और प्राइवेट बस और प्राइवेट कैब भी उपलब्ध रहती है। 


।। जय श्री राम ।। 


🙏🌷🚩🕉️🙏

 

 ✒️ स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)



मंगलवार, 12 सितंबर 2023

सुर्वचला-हनुमान मंदिर, खम्माम, तेलंगाना

वैदिक सनातन धर्म मे केवल एक देवता है जिन्हें चिरंजीवी, चिरकाल तक ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया है। किंतु भारत मे मंदिर है जो हनुमान जी के विवाहित होने की मान्यता पर प्रकाश देता है। तेलुगु भाषी राज्य तेलंगाना के खम्माम जिले में सुर्वचला हनुमान मंदिर, दुनिया का इकलौता हनुमान मंदिर है जहाँ भगवान ब्रह्मचारी मुद्रा की बजाए गृहस्त रूप में पत्नी सुर्वचला के साथ विराजे है। 




पौराणिक कथा:


बन्धुओं वैसे तो भगवान बजरँगबली के जीवन कार्यों का हिसाब श्री राम जी और माता सीता की सेवा के लिए समर्पित था और इसकी जानकारी हमे केवल वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी की श्री रामचरितमानस में मिलती है। किंतु उनके जीवन के कुछ अनजाने पहलू अन्य ग्रन्थों और श्रुतियों में मिलता है। 


 पराशर संहिता में भगवान हनुमान के विवाह के बारे में सम्पूर्ण उल्लेख मिलता है। भगवान सूर्य देव बजरँगबली के गुरु थे। उन्हें अष्ट विद्याओं का ज्ञान था तो उन्हीं विद्याओं के गठन को अपने शिष्य को प्रदान करनेद

 हेतु बजरँगबली ने विवाह किया था। पराशर संहिता में बजरँगबली के विवाह उपरांत बालक करने की भी बात मिलती है। 


अष्ट सिद्धियों में से केवल 4 सिद्धियां बजरँगबली ने ग्रहण की। बाकी 4 विद्याओं का ज्ञान केवल एके गृहस्त को ही दिया जा सकता है। फिर प्रश्न एक योग्य कन्या का आया और सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुर्वचला का नाम आगे कर शिष्य हनुमान को उनसे विवाह करने को कहा। हनुमान जी चकित हो उठे क्योंकि वे एक बाल ब्रह्मचारी थे तो सूर्य देव ने कहा के सुर्वचला एक तपस्विनी कन्या है, उनसे विवाह करने पर तुम ब्रह्मचारी ही रहोगे। सुर्वचला वापिस अपनी तपस्या में लीन हो जाएगी। इस पर अंजनी तुरंत मान गए और विवाह पूरा कर बची 4 विद्याएँ ग्रहण की। 


देवी सुर्वचला-हनुमान मंदिर


मंदिर महत्त्व


मंदिर में हज़ारों भक्तों की भीड़ देखी जाती है और इस भीड़ में ज़्यादातर विवाहित दम्पत्तियों का तांता लगा रहता है। पत्नी देवी सुर्वचला के साथ विराजे भगवान हनुमान, विवाहित जोड़ों में चल रही समस्यायों का निवारण करते है। जिन दम्पति की आपस मे ना बन रही हो या कोई अन्य विवाह में अन्य समस्या य्या विवाद हो यहां सुर्वचला देवी-भगवान हनुमान शीघ्र हल।करते है।



मंदिर परिसर


कैसे पहुँचे:


खम्माम नगर के मुन्नवरपेठ में मंदिर स्थित है और रेलवे स्टेशन से दूरी 1 किमी भी कम है।


खम्माम बस अड्डा भी इतनी ही दूरी पर है। 


निकटतम हवाई अड्डा हैदराबद का राजीव गांधी हवाई अड्डा है। खम्माम जिले से हैदराबाद शहर की दूरी 200 किमी है।


✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-




  • https://www.india.com/hindi-news/viral/shri-suvarchala-sahitha-hanuman-temple-1161011/

सोमवार, 1 मई 2023

जमसावली मंदिर, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश

हनुमान भक्त इस चमत्कारिक मंदिर से यहां पर मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाके यहां से वह सिंदुर अपने साथ ले जाते है अपनी समस्या का निवारण करने।






मंदिर

श्री जमसावली हनुमान मंदिर से जुड़ी एक अत्यंत विशेष किंवदंती यह है। एक बार कुछ चोर लुटा हुआ खज़ाना (शायद एक सोने की सनकल) लेके मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति के निकट जो विशाल पीपल का पेड़ है, वहां अंदर गाड़ दिया । जिसे भगवान बजरंगी ने देख लिया । जब चोर वहां वह खज़ाना छोड़ चले गए , तब भगवान वहां निद्रा वाली मुद्रा में सो गए । तब से निद्रा वाली मूर्ति यहाँ स्थापित हो गयी ।

जमसावली मंदिर छिंदवाड़ा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बीच सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर के चमत्कार जगजाहिर हैं। यह सौसर शहर से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह महाराष्ट्र राज्य के बाहरी इलाके में स्थित है। अभयारण्य में भगवान हनुमान आराम कर रहे हैं, जो भारत में बेहद असामान्य है। मंदिर में साल के किसी भी समय जाया जा सकता है।
यदि आप नागपुर क्षेत्र में रहते हैं तो यह विशेष रूप से आपके निकट है। यह भी कहा जाता है कि बिना भगवान के बुलाए कोई भी हनुमान मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। मंदिर में दो मुख्य मार्ग हैं। एक पुरुषों के लिए है, और दूसरा महिलाओं के लिए है। मास्टर हनुमान को इस संदर्भ में बाल ब्रम्हचारी कहा जाता है। मंदिर की संतता को बनाए रखने के लिए, महिलाओं को एक निर्धारित दूरी से भगवान को संबोधित करने की अनुमति है, लेकिन पुरुषों को मूर्ति के जितना संभव हो उतना करीब आने की अनुमति है। जाम सावली के हनुमानजी असंख्य आशीर्वाद देते हैं और आपकी झुंझलाहट का पता लगाते हैं, जिससे आपको सभी दर्द से राहत मिलती है। यह मंदिर विशेष रूप से अज्ञात बीमारियों से पीड़ित रोगियों को राहत देने और यहां तक कि इसकी ओझा शक्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है। साथ ही यह मंदिर भूत-प्रेत और पिशाच बाधा अथवा तांत्रिक शक्तियों को खत्म करने के लिए मुख्यत जाना जाता है।  बजरँगबली की निद्रा में लीन मूर्ति और भी कष्टों को समाप्त करने के लिए जानी जाती है ।

श्री हनुमान जन्मोत्सव और श्री राम नवमी का वार्षिक उत्सव उच्च आत्माओं और आनंद से भरा होता है। पूरे भारत से भक्त शक्ति, ब्रह्मचर्य और भक्ति के भगवान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचे : 
जमसावली मंदिर से सबसे निकटम रेलवे स्टेशन, छिंदवाड़ा छोटी लाइन रेलवे स्टेशन है ओ 60 किमी है। यह दूरी स्थानीय बस या टैक्सी द्वारा उपलब्ध रहती है । दुपहिया या चार पहिया वाहन से 1 घण्टे 30 मिनट का समय लेता है । दूसरा सबसे निकटम रेलवे स्टेशन है नागपुर रेलवे स्टेशन जो जमसावली 70 किमी डोर स्तिथ है और यह दूरी 2 घन्टे 15 मैं तय की जा सकती है, रोड द्वारा ।

।। जय श्री राम ।।

।। जय बजरंगबली ।।

🙏🕉️🌷🌿🚩🔱🙏

✒️ Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


योगमाया मंदिर,मेहरौली,दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में स्तिथ  माँ योगमाया का शक्तिपीठ मंदिर है। देवी योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन हैं। मेहरौली इलाके में...