इतिहास
राजधानी रायपुर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी गांव को भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाता है। 10वीं शताब्दी में बना माता कौशल्या का मंदिर तालाब के बीच में स्थित है। जानकारों का मानना है कि महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था। तीन दिनों तक चंदखुरी में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों और मंडलियों ने अपनी प्रस्तुति दी।
विवाह के उपहार के रूप में राजा भानुमंत ने अपनी पुत्री कौशल्या को 10 हजार गाँव दिए। उनके जन्मस्थान चंद्रपुरी का भी उल्लेख किया गया था। चंद्रपुरी चंदखुरी का प्राचीन नाम था। कौशल्या, हर किसी की तरह, अपने जन्मस्थान, चंद्रपुर के लिए मजबूत भावनाएँ रखती थीं। राजा दशरथ से विवाह के बाद कौशल्या के एक प्रतिभाशाली और निपुण पुत्र राम थे। इस विचार के अनुसार सोमवंशी शासकों द्वारा बनाई गई मूर्ति आज भी चंदखुरी के मंदिर में मौजूद है। लोक कथाओं के अनुसार, यहां के एक सोमवंशी राजा को माता कौशल्या ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि वह इस स्थान पर विराजी है। तुरंत राजा ने उस जमीन को खुदवाने के आदेश दिए और वहां मूर्ति भी मिली। फिर वहीं भव्य मंदिर बनवाकर मूर्ति की स्थापना की। सन् 1973 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। राम वनगमन पथ छत्तीसगढ़ की अनुपम सांस्कृतिक धरोहर है। पौराणिक कथाओं की जीवन शक्ति नौ चरणों पर केंद्रित है। इस परियोजना का पहला चरण अब शुरू हो गया है।
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माँ कौशल्या मंदिर इतिहास:
मंदिर में भगवान श्री राम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की मूर्ति है। वनवास से लौटने के बाद भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था। उसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी तपस्या करने के लिए चंदखुरी पहुंचीं। तीनों माताएँ तालाब के बीच में बैठी थीं।
कहा जाता है कि जब लोगों ने जलसन तालाब के पानी को गलत कामों के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया, तो माता सुमित्रा और कैकेयी क्रोधित हो गईं और चली गईं। लेकिन माता कौशल्या आज भी मौजूद हैं। अविश्वसनीय बात यह है कि इस मंदिर के बारे में पहले कोई नहीं जानता था। एक भैंस ने इस स्थान की खोज की। यहां पहले स्त्रियों का आना वर्जित था क्योंकि यह माना जाता था की श्रीराम के बाल्य रूप को लिए बैठी माँ कौशल्या को महिलाओं की नज़र लग जाएगी पर कुछ समय बाद वर्जित खत्म कर दिया गया। चंदखुरी को औषदि ग्राम या वैद्य चंदखुरी भी कहा जाता था क्योंकि यहां एक समय पर यहां वैद्य सुषेण का आश्रम भी था।
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चंदखुरी कैसे पहुँचे:
रायपुर से चंदखुरी की दूरी मात्र 27 किमी है । रायपुर शहर और रायपुर रेलवे स्टेशन से प्राइवेट टैक्सी और चंदखुरी गांव के लिये बस सेवा हमेशा उपलब्ध रहती है। जाने या आने में 45 मिनट का समय लगता है ।
जैसा कि आपने अंदाजा लगा लिया होगा कि यह श्री मर्यादा पुरुषोत्तम की मां को समर्पित दुनिया का एकमात्र मंदिर है। फलस्वरूप छत्तीसगढ़ की राजधानी के पास स्थित इस पवित्र मंदिर के प्रति आपका सम्मान व्यक्त करना महत्वपूर्ण है।
।। जय माता कौशल्या ।।
।। जय श्री राम ।। 🙏🕉️🌷🙏
✒️ स्वप्निल.अ
(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)
Jay shree ram
जवाब देंहटाएंKeep it up. 🤘🏼
जवाब देंहटाएंVery nice. Keep it up
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएंYou are doing a great work🙌 Best wishes for future endeavours ❤️
जवाब देंहटाएंDhanyawaad
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