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मंगलवार, 16 मई 2023

लिलोरी मैय्या मंदिर , धनबाद, झारखण्ड

 इतिहास:

माँ लिलोरी मंदिर कतरासगढ़ के का राजा की कुलदेवी थी।  बात उस समय की है जब कतरासगढ़ के राजा सुजान सिंह थे। राजा ने मध्य प्रदेश के रीवा के राजघराने के एक सदस्य की सहायता से 800 साल पहले कतरास के इस घने जंगल में माता की मूर्ति स्थापित की थी। यह इलाका कभी घने जंगल से आच्छादित था।

मां की मूर्ति की स्थापना के साथ ही यह मंदिर राजपरिवार के लिए कुल देवी मंदिर बन गया और तब से अब तक यहां सिर्फ राजपरिवार की प्रथम पूजा और दैनिक बलि दी जाती है। 

लिलोरी माता यश:

आठ सौ साल पहले  मूर्ति स्थापना के बाद से ही माँ का मंदिर प्रसिद्ध होने लगा। शाही परिवार माँ के बारे में अच्छी तरह जानता है; यदि कोई भक्त माँ के दरबार में हृदय से अपनी मनोकामना माँगता है, तो माँ निस्संदेह उसकी मनोकामना पूर्ण करती है; नतीजतन, बड़ी संख्या में श्रद्धालु झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल आते हैं और ओडिशा से आते हैं।

मां लिलोरी मंदिर में लोगों की इतनी आस्था है कि भारत ही नहीं बाहर से भी अपनी मन्नत मांगने और चुनरी की गांठ बांधने आते हैं; यदि उनकी मन्नतें पूरी हो जाती हैं, तो वे भेंट चढ़ाते हैं और लौट जाते हैं।

लिलोरी माँ के मंदिर में लोग कई प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए आते हैं, जैसे कि एक नया ऑटोमोबाइल खरीदना, अपने बच्चे का मुंडन कराना, या पवित्र जनेऊ संस्कार करना, कई अन्य प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए हर दिन कई भक्त आते हैं।

मां लिलोरी स्थान न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि यह एक लोकप्रिय विवाह स्थल भी है, जहां लोग शादी समारोह करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करते हैं। शादी की कई सुविधाएं सुलभ हैं, साथ ही वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग स्थान भी है।

लगन के दौरान इतने लोग आते हैं कि एक पैर रखने की भी जगह नहीं बचती। वातावरण उत्तम प्रतीत होता है। और धर्मशालाएं 1 से 2 महीने पहले से तय होनी चाहिए, तो सोचिए लगान में एक ही दिन में कितनी शादियां होंगी। 

अपने पवित्र क्षेत्र और माँ के विग्रह में अपार शक्ति होने के कारण यहां कमज़ोर दिलवालों को आने से बचना चाहिए।


मां मंदिर मार्केट - लिलोरी स्थान मार्केट:

लिलोरी मंदिर कतरास के आसपास कई बूथ हैं, जहां मेकअप से लेकर स्नैक्स और भोजन तक कुछ भी उपलब्ध है। मां मंदिर में कई अच्छी धर्मशालाएं हैं। इसके अलावा, किसी भी प्रकार की पार्टी या उत्सव के लिए सभी प्रकार की वस्तुएं सुलभ हैं।



नवमी के दिन लिलोरी स्थल:

लिलोरी माँ मंदिर कतरास, धनबाद, झारखंड मन्नतों के लिए बहुत प्रसिद्ध है, इसलिए नवमी के दिन आपको आश्चर्य होगा कि यहाँ लगभग 1000 यज्ञ किए जाते हैं। बहुत से लोग इस दिन का इंतजार करते हैं क्योंकि नवमी का दिन पूजा के लिए अच्छा दिन माना जाता है। जिसके चलते आपको लिलोरी मां के मंदिर में पहले से रजिस्ट्रेशन कराना होता है, तभी आप पूजा के लिए आहुति दे सकते हैं।

परंपरा के अनुसार राजपरिवार के सदस्य मां के मंदिर में पहली पूजा और पहला यज्ञ करते हैं, उसके बाद ही अन्य लोग पूजा करते हैं और बलि का कार्यक्रम शुरू होता है। इस दिन इतनी भीड़ होती है कि वहां का माहौल मेले जैसा लगता है।

झारखंड कई धार्मिक स्थलों का घर है। देवगढ़ बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, जबकि कतरास माता मंदिर झारखंड के बाहर कम जाना जाता है। जब आप झारखंड लौटते हैं, तो इस गूढ़ मंदिर में विराजमान देवी माँ को अपना सम्मान देना न भूलें।

मंदिर में प्रवेश से पहले:

  1. मंदिर में रोज़ बलि दी जाती हैं और बलि प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांटा जाता है। 
  2. मंदिर के अंदर देवी की छवि, फ़ोटो लेना वर्जित है इसीलिए फोन या कैमरा ले जाना बिल्कुल मना है। 


मंदिर परिसर और मार्केट

कैसे पहुँचे:

कतरसगढ़ से धबद की दूरी 17 किमी की दूरी पर है और NH18 छताबाद रोड पर पड़ता है। धनबाद झारखंड की राजधानी रांची से पूरी तरह से रोड और रेल मार्ग से कनेक्टेड है। 

धनबाद से कतरसगढ़ मंदिर की दूरी आप टैक्सी और बस 35 मिनट में पूरी कर सकते हैं।


।। जय माता दी ।। 

🙏🕉️🌷🌿🚩🔱

✒️ स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


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www.burningjharia.com/2022/06/lilori-sthan-katras-dhanbad.html/amp


- https://www.prabhatkhabar.com/topic/katras-lilori-sthan


- https://www.manonmission.co/2023/01/lilori-dham-dhanbad-jharkhand.html

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