भगवान जगन्नाथ की पृरी मंदिर सदियों से रहस्यों से भरा हुआ है। जगन्नाथ मंदिर को साक्षात वैकुंठ धाम भी कहा जाता है क्योंकि मंदिर में एक बार भगवान् के दर्शन कर लेने से मृत्यु पश्चात् प्रभु चरणों की प्राप्ति होती है।
जगन्नाथ मंदिर में अधिकतर सनातनी बंधु मंदिर के शिखर पर वायु की विपरीत दिशा में लहराती धर्म ध्वज, मंदिर के निकट होकर भी समुद्र की लहरों का मंदिर परिसर तक न सुनाई देना और भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में ब्रह्म पदार्थ(श्री कृष्ण का हृदय) का होना ; इन सब बातों से तो सब भली भांति परिचित होंगे ही पर जगन्नाथ मंदिर का एक ऐसा रहस्यमय सत्य जो भक्त केवल व्यक्तिगत तौर पर अनुभव करता है। इस बात को कई लोग नहीं जानते।
![]() |
जगन्नाथ मंदिर स्तोत्र: Quora |
पुरी जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य?
मान्यताओं के अनुसार जगन्नाथ मंदिर बनने के बाद भक्त, प्रभु के दर्शन कर वापिस जाने लगे थे तब हर किसी को प्रभु के सुलभ दर्शन पाकर स्वर्ग प्राप्ति होने लगी। बड़े से बड़े पापी भी निश्चिन्त हो कर पूरी जगन्नाथ मंदिर में शीश झुखाने आने लगा। यह सब देख यमलोक के राजा यमराज भी दुविधा में पड़ गए क्योंकि यमलोक में पापी आत्माओं का आना कम होता गया। इस समस्या का समाधान जानने वे श्री हरि के पास पहुँचे। प्रभु हरि जो जगत के पालनहार होने की वजह से अपनी शरण में आये हुए किसी भी प्राणी को खाली हाथ नहीं भेजते।
![]() |
सिंह द्वार स्तोत्र: Quora |
➡️ इस जगन्नाथ मंदिर में प्रलय काल में दर्शन देंगे कल्की भगवान
भगवान जगन्नाथ ने यमराज को मंदिर के पूर्व द्वार की तीसरी सीढ़ी पर विद्यमान होने का आदेश दिया। भक्तों की जगन्नाथ यात्रा का फल बढ़ाने के लिए यम शिला पर पांव रखते ही पुण्य में वृद्धि होगी और मृत्यु लोक के पापी मंदिर से निकलते समय अगर यम शिला पर जाने य्या अनजाने में भी पाँव रख कर निकलेंगे, उनके पुण्य ही क्षीण हो जाएंगे। पूर्वी द्वार में कुल 22 सीढियां हैं। बाईस सीढ़ियां 7 लोक , 7 पाताल और 8 बैकुंठ का प्रतिनिधित्व करती है।
पुरी जगन्नाथ मंदिर यमशिला को काला पत्थर और काली शिला के नामों से भी जाना जाता है।
- स्वप्निल.अ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें