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सोमवार, 12 जून 2023

जगन्नाथ मंदिर, जाजपुर, ओडिशा

हम सबने चार धामों में से एक, पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के बारे में तोह सुना ही होगा पर क्या आप जानते हैं ओडिसा एक और पुरातन जगन्नाथ मंदिर के बारे में? तो आइए जानते है छतिया बाटा के बारे में जिसे ओडिसा के छोटे जगन्नाथ धाम के रूप में भी पूजा जाता है।  इस बात की जानकारी अधिक लोगों को नहीं पता है। चाटिया जगन्नाथ मंदिर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर जितना ही रहस्यमयी है। 


इतिहास:


छतिया बाटा मंदिर राजा अनंतवर्मन द्वारा 12वी सदी CE में बनवाया गया था। चाटिया के जगन्नाथ मंदिर की सबसे विचित्र बात मुझे यह समझ आयी के इस मंदिर में साल के 365 दिन कोई ना कोई काम चलते रहता है। इस रहस्य के पीछे की मान्यता है इस मंदिर का कलयुग के अंत समय का महत्व और भगवान विष्णु के बारहवें अवतार, भगवान कलकी से जुड़ी गाथा है।


भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और प्रभु जगन्नाथ


संत अच्युतानन्द और छतिया बाटा की किंवदंतियां :


संत अच्युतनंद 
जन्म : 10 अप्रैल, माघ शुक्ल एकादशी


संत अच्युतानंदन( या कुछ कहते है संत हादी दास) ने भविष्य मालिका में लिखा है - 


"जिबा जगाता होइएबा लिना - बैशी पहाचे खेलिबा मिना "। 


जिसका अर्थ इस प्रकार है - 'जब प्रलय आएगा सब प्राणी समाप्त हो जाएंगे, इस मंदिर की सीढ़ियों पर केवल मछलियाँ तैरेंगी'।  


मालिका के अनुसार, महाविनाश के समय केवल छतिया का जगन्नाथ मंदिर ही पानी की लहरों के ऊपर होगा और समस्त धरती जलमग्न हो जाएगी। मालिका के अनुसार महाविनाश लीला छतिया बाटा से शुरू होगी जब हर जगह पाप होगा और तब, कलकी अवतार अपनी तलवार नंदक लेके आएंगे एक सफेद घोड़े पे सवार हो कर अधर्म का अंत करने।


यह रोचक और रहस्यमय जानकारी "भविष्य मालिका" में पूरी तरह वर्णित है जो 600 वर्ष पहले ओडिसा में वैष्णव धर्म के पांच प्रमुख आचार्य जो पँचसखा - संत अच्युतानंद दास, सिसु दास, अनंत दास, जसोबन्ता दस और जगन्नाथ दास, जिन्हें प्रभू का मित्र भी कहा जाता है। मालिका कहती है अंत में यह पांचो लौटेंगे और प्रभू के साथ धर्म स्थापना का कार्य करेंगे।


पँचसखाओं के अनुसार जगन्नाथ पूरी में भगवान अपना निवास छोड़ छतिया आ जायेंगे फिर यह प्रभु का घर कहलायेगा। चाटिया तीर्थ, भगवान जगन्नाथ को समर्पित है ठीक पुरी के मंदिर की तरह और हर रोज के पूजा अनुष्ठान भी पुरी मंदिर जैसे ही सम्पन्न होते है।


संत अच्युतानंद ने मालिका के अलावा और भी ग्रन्थों की रचना की जैसे "शंकनवी","अनंत गुप्त गीता", "अनंगतागोई", "भवनबारा", "हनुमंथा गीता" और अन्य। उनकी रचनाओं को "हादी दास की रचनावली" में संकलित किया गया है।



मंदिर प्रवेश द्वार 


जगन्नाथ मंदिर :


बाहर से मंदिर के अंदर के दृश्य आप बिल्कुल नहीं देख सकते है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको कुछ सीढियां चढ़ने का कष्ट करना होगा और जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करेंगे आपको समझ आ जायेगा की मंदिर बिल्कुल अभेद्य है मानो किसी किला की भांति। 


  • जहां पुरी जगन्नाथ मंदिर में आपको क्रमशः बलभद्र, माता सुभद्रा और प्रभु जगन्नाथ बैठे मिलेंगे वहीं चाटिया में आपको प्रभु जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र इस क्रम में बैठे मिलेंगे।  


  • तीनों की विशाल मूर्तियां अलग-अलग कमरों में विराजी है और इन कमरों का रास्ता काफी संकरा है ।


  • मूर्तियों को आप केवल एक तरफ से ही निहार सकते हैं क्योंकि मूर्तियां दरवाज़े की तरफ चेहरा किये हुए नहीं है। 


  • पुरी मंदिर में तीनों देवों की भुजाएं नहीं है पर छतिया में भगवान भुजाओं के साथ विराजे हैं। 


  • जगन्नाथ स्वामी की मूर्ति अपने एक हाथ में तलवार लिए  हुए है।


  • यहां भगवान विष्णु के दशम अवतार कलकि भी पूजे जाते हैं।



भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा

भगवान कलकी


बरगद का वृक्ष(Banyan Tree) जिसे वट या बाट, जिसके नाम के साथ ही छतिया जाना जाता है; एक बहुत प्राचीन वृक्ष यहाँ आप देख सकते हैं; इसी वृक्ष के नीचे संत हादी दस ने बरसों तप करके अपना समस्त ज्ञान प्राप्त किया था। 


मंदिर के अंदर भगवान गणेश, माता काली और एक विशेष मंदिर मृत्यु के देवता भगवान यम को भी समर्पित है। भगवान कलकि का एक अदभूत् भित्ति चित्र आप मंदिर में अंदर प्रवेश करने पर भी देख सकते हैं । इसके साथ अन्य देवताओं के भी भित्ति चित्र आप मंदिर में देख सकते है।


छतिया, पूरी के बाद ओडिशा का दूसरा श्रीक्षेत्रं है इसीलिए यहां पर भी सालाना आयोजित होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। साल दर साल यहाँ भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है।


छतिया गांव का छतिया पेड़ा, मथुरा और धारवाड़ पेडे की तरह ही खूब प्रसिद्ध और स्वादिष्ट है। यह स्वादिष्ट मिठाई आप यहाँ टोकरियाँ में लिए लोगों को साइकिलों पर रख कर या दुकानों में बेचते देखेंगे।


अत्यंत रहस्यमयी होने की वजह से ही यहां किसी भी प्रकाण के विद्युतीय उपकरण जैसे कैमरे या मोबाइल फ़ोन लेके जाना प्रतिबंधित है। 



कैसे पहुंचे:

 

छतिया गांव ओडिशा के जाजपुर जिले में आता है और यह नेशनल हाईवे NH16 पर कट्टक और भुवनेश्वर दोनों से 29किमी और 51किमी की दूरी पर है । 


दोनों शहर के रेलवे स्टेशन चाटिया से बेहतर तरह से जुड़े हुए हैं । कट्टक से गाड़ी से पहुँचने में आपको डेढ़ घण्टे का समय लगेगा और वहीं भुवनेश्वर से दो घण्टे का। 


अगर आप ओडिशा या जगन्नाथ पुरी के दर्शन करने का विचार कर रहे हैं तोह छतिया भी अवश्य आइए और प्रभू का आशिर्वाद प्राप्त कीजिये ।


।। जय प्रभु जगन्नाथ की ।।


।। जय भगवान कलकि ।।


🙏🕉️🌷🌿🚩🔱


✒️Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अगर आप भविष्य मालिका में बताई गई महाविनाश से संबंधित भविष्यवाणियों के बारे में और जानकारी चाहते है तो नीचे दिए गए इन लिंक्स पे क्लिक करे :- 

  1. https://www.janmediatv.com/2022/05/31/bhavishya-malika/
  2. www.naidunia.com/lite/national-achyutananda-das-predictions-achyutananda-bhavishya-malika-bhavishyavabi-accurate-like-baba-vanga-7963800
  3. https://knowledgeshowledge.com/bhavishya-malika-predictions-about-kaliyuga/
  4. https://en.m.wikipedia.org/wiki/Chhatia_Bata


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