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सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

ॐ मंदिर, पाली, राजस्थान


 अंनत ब्रह्मांड और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते चिन्ह "ॐ" का सबसे विशाल और बड़ा भव्य मंदिर राजस्थान के पाली जिले के जाडन गांव में पिछले 24 वर्षों से बन रहा है। मंदिर निर्माण अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है और इस वर्ष दिसंबर के अंत मे उद्घाटन होने जा रहा है। 




मंदिर:


 उत्तर भारत की नागर वास्तुशैली में विश्व के सबसे पहले और सबसे बड़े 'ॐ' मंदिर का 250 एकड़ में निर्माण हुआ है। मंदिर की ऊंचाई 135 फ़ीट है और कुल 4 खण्डों में मंदिर विभाजित है। इसमें 1 खण्ड पूरा जमीन के नीचे है और तीन जमीन के ऊपर की तरफ है। एक जप माला में 108 मोती होते है सो इसी कारण मंदिर में 108 कमरे हैं। भगवान शिव के 1008 नामों के अनुरूप आकृतियां मंदिर की दीवारों पर बनायी गयी हैं। पाली जिले में शिव मंदिरों की सूची में गहरा प्रभाव डालने के लिए स्वामीजी ने मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग भी स्थापित किये हैं। इन ज्योतिलिंगो को देश की 12 पवित्र नदियों के जल से जलाभिषेक कर स्थापित किया गया है ताकि ज्योतिर्लिंग जागृत हो सके।


 वैदिक वास्तुशास्त्र का उपयोग मंदिर के हर कोने को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए मंदिर का हर कमरा ब्रह्मांडीय ऊर्जा शक्ति सोख सके यह ध्यान में रख कर बनाया गया है।  


 इस नव निर्मित मंदिर की मूर्तियाँ ओडिशा के कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं।  मध्य में गुरु माधवानन्द की समाधि है। ऊपरी भाग में महादेव लिंग रूप में विराजे हैं। यह लिंग स्फटिक का बना है और मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। शिवलिंग के इस कक्ष की छत पर ब्रह्मांड की आकृति बनाई गई है। पवित्र "ॐ" चिन्ह में बिंदु दर्शाने के लिए एक 9 मंजिला इमारत बनाई गई है। बिंदु के ऊपर सूर्य मंदिर है। इसी मंदिर के नीचे पानी कि टँकी भी बनाई गई है। मंदिर भवन में एक पुस्तकालय, कॉन्फ्रेंस हॉल और दुकाने भी बनाई गई है। 


 स्वामी महेश्वरानंद जी महाराज के गुरु, ब्रह्मलीन पूज्य महाराज श्री स्वामी माधवानंद पुरी को पाली के गांव वासी शिव अवतार मानते थे। पाली के ॐ मंदिर को अद्वितीय बनाने के लिए स्वामी माधवानंद जी की समाधी के पास सप्त ऋषियों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। उन्हीं की प्रेरणा और आशीर्वाद से स्वामी महेश्वरानंद महाराज जी ने विश्वदीप गुरुकुल बनवाया था। दो सौ स्तम्भों को अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं।


 चौबीस वर्षों में बने मंदिर के योगदान में स्वामीजी के विदेशी शिष्यों ने बड़ी अहम भूमिका निभाई है। इसीलिए बड़ी संख्या में विदेश में रह रहे सनातनी गुरुजी के मार्गदर्शन में धर्म प्रसार में भी जुटे हैं।  

 

ॐ मंदिर लघु मॉडल



   

कैसे पहुँचे:


ॐ मंदिर जाडन गांव में है।  सबसे नजदीक पाली और मारवाड़ रेलवे स्टेशन है। यह दोनों स्टेशन भारत के अन्य शहरों से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। 


जोधपुर हवाई अड्डा सबसे करीबी हवाई अड्डा है।


मंदिर पहुँचने के लिए बस और प्राइवेट वाहन की सुविधा भी है।


✒️Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)



इन्हें भी देखें :


सोमवार, 7 अगस्त 2023

तिरुपति बालाजी मंदिर, जम्मू

जम्मू की तवी नदी के शांत किनारों और शिवालिक पहाड़ियों 15 जून 2023 जम्मू के हिन्दू रहवासियों और बाहर से आनेवाले पर्यटकों के दर्शन के लिए भारत और राज्य सरकार के समर्थन के साथ खोल है गया है आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश का एक सबसे प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है जो भगवान वेंकटेश्वर का निवास स्थान है। देश में आंध्र प्रदेश के बाहर प्रभू तिरुपति बालाजी के अब कुल छः मंदिर बन चुके हैं। 


बालाजी मंदिर, जम्मू

 

मंदिर:


मंदिर में प्रमुख देवता भगवान वेंकटेश्वर है औऱ साथ में भगवान शिव, गणेश और माँ दुर्गा की प्रतिमाएं भी हैं। जम्मू कश्मीर में मंदिर बनाने का प्रमुख उद्देश्य में विविधता और पर्यटन को बढ़ावा देना। आंध्र प्रदेश के तिरुमला बोर्ड द्वारा मंदिर संचालित है और 45 पुजारी पंडितों द्वारा मंदिर का उद्घाटन और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की गई है। 


जम्मू के सिध्रा क्षेत्र में 62 एकड़ में बनाया गया है और लागत 30 करोड़ से ज्यादा की रुपये बताई गई है। भगवान बालाजी की कूप 2 प्रतिमाएं, 8 और 6 फ़ीट की लगाई गई हैं। इनमें 6 फ़ीट की प्रतिमा मंदिर के गर्भ गृह में और 8 फ़ीट गर्भ गृह के बाहर स्थापित है। मंदिर में पत्थर कर्नाटक और आंध्र से लाये गए थे। 

                   
    


         


"भगवान व्यंकटेश बालाजी" की आंखों पर पट्टी हफ्ते के 6 दिन बंधी रहती है और गुरुवार को, जो कि भगवान विष्णु का दिन है इसी दिन यह पट्टी खुली रहती है। यह नियम सारे बालाजी मंदिरों में अनुसरित किया जाता है। यह मान्यता है कि भगवान बालाजी के नयनों में अत्यंत प्रकाश होता है।

 


      


'मंदिर के मंडप में कदम रखने के पूर्व श्रधालुओं से मंदिर अनुरोध करता है कि अपने फोन बंद करके रखें या बाहर ना निकाले।'


मंदिर पुजा समयसारिणी

इन्हें भी देखें:

      


तिरुपति बालाजी कैसे पहुँचे:


जम्मू से वैष्णदेवी जाते समय सिध्रा होते हुए श्रद्धालु दर्शन कर सकते है। 


मंदिर से जम्मू तवी स्टेशन की दूरी 12 किमी जो 15 से 20 मिनट में पूरी की जा सकती है। टैक्सी, प्राइवेट कैब और बस दिन के हर समय उपलब्ध रहती है। 

जम्मू तवी स्टेशन से दिल्ली, पंजाब, हरयाणा, हिमाचल, और कश्मीर, लेह-लद्दाख, सभी बेहतर रोड और रेल मार्ग से जुड़े हुए है जिससे उत्तर भारत के वासी बालाजी के इस अनुपम तीर्थ से धन्य हो सकते हैं। 


             


।। ॐ नमो वेंकटेशाय ।। 


🙏🕉️🌷🚩🙏


✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:-




गुरुवार, 27 जुलाई 2023

विश्व स्वरूपम शिव, नाथद्वार, राजस्थान

वीर महाराणाओं की पावन धरती राजस्थान पर दुनिया की सबसे विशाल औऱ ऊंची महादेव की मूर्ति बनाई गई है। राजस्थान के शहर राजसमंद में भोलेनाथ की इस विशाल काय मूर्ति को बनवाने वाले है, मिराज समूह के अध्यक्ष मदन पालीवाल और मूर्तिकार है नरेश कुमावत।


यहां महादेव की विशाल मूर्ति बनाने के पीछे नाथद्वार वासियों की एक मान्यता है। जब महादेव एक समय नाथद्वारा आये थे तो उन्हीने यही आसन ग्रहण किया था। देवों के देव महादेव की मूर्ति ध्यान मुद्रा में है। और भला भोलेनाथ अपनी सवारी नन्दी के बिना कैसे दिख सकते हैं? सो नन्दी की मूर्ति पास ही मानो नृत्य करती हुई मुद्रा में दिखती है।


विश्व स्वरूपम


विश्व स्वरूपम पीछे से




 प्रक्रिया औऱ सामग्री:


विश्व स्वरूपम(Statue of Belief) राजसमंद की गणेश टेकरी पहाड़ी पर बनाया गया है। 

मूर्ति का काम 2018 में शुरू हुआ और लोकार्पण 29 अक्टूबर 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री जी द्वारा करवाया गया। मूर्ति की ऊँचाई पहले 251 फ़ीट रखी गयी थी किंतु गंगा की जलधारा जोड़ने के चलते ऊंचाई 369 फ़ीट कर दी गयी। मूर्ति का आधार110 फ़ीट में पसरा है। कुल वजन 30000 टन है जो इसे एशिया की किसी भी मूर्ति से सबसे भारी और ऊंची करती है। तांबे का पेंट से रँगी मूर्ति अगले 20 वर्ष तक चमकती रहेगी। मूर्तिकार नरेश कुमावत बताते हैं की मूर्ति अगले 2500 साल तक यूं कि यूं बनी रहेगी चाहे कोई भी प्राकृतिक आपदा क्यों ना आ जाए। मूर्ति बनाने में कुल 30000 टन धातु(पंच धातु) जिसमे 2,600 टन स्टील 2,601 टन लोहा 26,618 क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट 30x25 मीटर उपयोग हुआ है। नन्दी महाराज की ऊंचाई 25 फ़ीट और चौड़ाई 37 फीट की है। मूर्ति का ऊपरी भाग 250किमी तक तेज चलनेवाली हवाओं को भी झेलने की क्षमता रखता है। मूर्ति को बनाने में 90 इंजीनियरों औऱ 900 कारीगरों ने बनाकर तैयार किया है। मूर्त्ति के ऊपरी हिस्से में जाने के लिए 4 लिफ्ट, एक एलेवेटर और 3 कांच सीढ़ियों की व्यवस्था है। श्रद्धालुओं के लिए अंदर एक हॉल की व्यवस्था भी की गई है।



रात्री शिव दर्शन



 महादेव की जटाओं वाले भाग पर दो पानी की टँकीयां लगी है। एक टँकी जलाभिषेक के लिए और दूसरी आपातकाल के लिए। लगाई गई है। मूर्ति के भीतर कुल 15000 लोगों को लेने की क्षमता है। एक दिन में केवल 700 लोग को ही महादेव के अंदर के दर्शन की अनुमति है। एक बार में 60 लोगों को प्रवेश मिलेगा और 10-10 लोगों के जत्थे प्रवेश करते हैं। 


विश्व स्वरूपम मूर्ति को पूरा देखने में दर्शनार्थियों को कम से कम 4 घंटों का समय लगेगा। मूर्ति के ऊपर पहुँचने पर राजसमंद शहर का लुभावना दृश्य देखते ही बनता है। 


मूर्ति दर्शन समय:


  • सुबह 5 से 12:30 बजे तक
  • दोपहर 3 से रात्री 8:30 बजे तक
विश्व स्वरूपम में प्रवेश करने के लिए टिकट की जानकारी, www.statueofbelief.com पर जाके की जा सकती है। 

कैसे पहुँचे:


हवाई मार्ग- राजसमंद से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है जो विश्व स्वरूपम मूर्ति से 57 किमी दूर है। 


रेल मार्ग- राजसमंद से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मावली रेलवे स्टेशन है। विश्व स्वरूपम मूर्ति की स्टेशन से दूरी कुल 29.9 किमी दूर है। 


✒️Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:-


  • http//hindi.revoi.in/369-feet-high-shiva-statue-vishvas-swaroopam-inaugurated-in-nathdwara-rajasthan/amp/






इन्हें भी देखे:


गिरजाबंध हनुमान मंदिर, बिलासपुर, छतीसगढ़

  यूं तो भगवान श्रीराम भक्त हनुमान के देश में कई और विदेशों में कुछ मंदिर है, किंतु भारत के गांवों दराजों में ऐसे मंदिर है जिनकी खबर किसी को...