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शनिवार, 20 मई 2023

भेरूजी नाथ मंदिर, कोडमदेसर , बीकानेर, राजस्थान

 
"कुछ समय पहले जब मैं अपने ब्लॉग के विषय में ऐसे अद्धभुत किंतु अनजाने मंदिरों की सूची ढूंढ रहा था, तब एक भक्तिन मित्र की व्हाट्सएप स्टोरी में मुझे बाबा भेरूजी ने दर्शन दिए। इसे में एक दिव्य संयोग कहता हूँ। भक्त ने बाबा और बाबा ने भक्त ढूंढ लिए"।

 


यह मंदिर और इसमें स्थापित भगवान कालभैरव की मूर्ति मानों जैसे अपने भक्तों को पुकार रही हो, मैंने जब भैरुजी मंदिर के बारे में सुना तोह मानों मुझे ऐसा आभास हुआ मेरे गहरे मैन में। 


भेरूजी मंदिर का इतिहास:

 राव भिकाजी जोधपुर राज घराने से थे और सन् 1465 AD में जोधपुर छोड़ आज के कोडमदेसर आ गए और आज जहां मंदिर विद्यमान है वहीं शहर बसाने की सोची , केवल अपने शुरुआती वर्षों में पर कुछ समय पश्चात अपने मंत्रियों की सलाह पर मन बदल दिया औऱ बीकानेर शहर वर्तमान जगह पर रखी जो आज हम देखते है। कोडमदेसर गांव में उन्होंने भेरूजी को समर्पित एक मंदिर बनाने का निश्चय किया।

एक पुजारी द्वारा भेरूजी की मूर्ति की कहानी इस प्रकार है - 
"एक भक्त को भेरूजी का विग्रह अपने ग्रह नगर मन्दोर जोधपुर से लाने की इच्छा हुई, तोह बाबा भैरवनाथ उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए। बाबा भैरवनाथ ने उसे सावधान किया की अगर वह मूर्ति रास्ते में किसी भी धरती पर रख देता है तो मूर्ति वापिस उठाई नहीं जा सकेगी"। 

         


फिर उस भक्त ने मूर्ति को मन्दोर से ले जाना शुरू किया और बीच रास्ते में उसे थकावट महसूस होने लगी सो उसने वहीं मूर्ति रख कर विश्राम करने की सोची। मूर्ति धरातल पर रखने पर उसे उसकी अपनी गलती याद आयी पर तब तक देर हो चुकी थी । अब बाबा भैरवनाथ अपना स्थान अटल कर चुके थे "। 

काफी समय बाद जब राव बिकाजी जंगलाबाद(बीकानेर का पुराना नाम) पहुंचे तो उन्होंने उसी स्थल पर मंदिर बनाने की ठानी।

कोडमदेसर गांव का नाम कोडम मंदिर के पीछे बने कोडम तालाब से लिये गया है। कोडम तालाब माता सती कोडम के नाम से जाना जाता है। भेरूजी के मंदिर के निकट ही माता सती कोडम की देवली है।

मूर्ति की विधिवद स्थापना भैरव भक्त गेंदाराम माली ने करवाई थी। आज के मंदिर को रूप दिया था बीकानेर के राजा गंगा सिंह ने।  गौर करने वाली बात यह है की भेरूजी मंदिर उन्न दुर्लभ मंदिरों की सूची में है जिसमे मूर्ति के ऊपर छत नहीं है। ऐसा एक और मंदिर केवल शनि देव को समर्पित है , महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर में भगवान शनिदेव की है।

बाबा भैरवनाथ जो भगवान शिव की भौहों के बीच से उत्तपन्न हुए है तोह इसीलिए उन्हें भगवान शिव का तीसरा नेत्र भी कहा जाता है।


भेरूजी मंदिर:

बाबा भैरवनाथ की मूर्ति मार्बल से बनाये गए मचान पर स्थापित की गई है। एक त्रिशूल - एक भाला धारण किये हुए है और बहुत सारे गेंदे के फूल से लदी हुई दिखती है।

बाबा भैरवनाथ को हर रोज़ विविध तरह से श्रृंगार किया जाता है जो देखते ही बनता है और भक्तों को उज्जैन में बैठे महाकाल बाबा के श्रृंगार का स्मर्ण होता है। 

सदीयों से मंदिर के पुजारी सुरदासनी पुरोहित रहे है। आज के समय मे भी सुरदासनी पुरोहित पुरानी परंपराओं का निर्वाहन करते आ रहे हैं। पुरोहितों के घर को रसोई में भी छत नहीं होती। सबसे प्रथम भोग भेरूजी को चढ़ता है। इन रसोइयों में कभी ताला भी नहीं लगाया जाता हैं।
 


 



मूर्ति में एक अद्धभुत दिव्यता और रहस्य महसूस होता है । बाबा कालभैरव की वह भयानक आंखें आपको स्तब्ध कर देने वाली है । साथ ही उनका वह खुला हुआ मुख जिसमे भक्त प्रसाद अर्पित करते है एक नई अनुभूति देता है जो आपने किसी और मंदिर में शायद कभी अनुभव ना किया हो। मंदिर के पीछे 
पास ही एक छोटा तालाब है, यहाँ भक्त मछलियों को खाना डालते है शांति से। भेरूजी मंदिर तंत्र साधना और तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है। 

कुछ विशेष बातें जो आप अवश्य ध्यान में रखे जब भेरूजी मंदिर आये - 

  • आगर आप नव विवाहित है तोह यहां आपको अवश्य बाबा के दर्शन लेने चाहिए।
  • यहां अन्य मंदिर जैसे भगवान को केवल पुजारी ही नहीं अपितु भक्त भी आपने हाथों से उनके मुख में प्रसाद चढ़ा सकते है। 
  • जो प्रसाद चढ़ाया जाता है वह आप अपने साथ नहीं ले जा सकते ओर सारा प्रसाद आपको यहीं समाप्त करना पड़ता है।
  • भगवान भैरव को उनके भक्त यहां मदिरा भी प्रसाद के रूप में चढ़ाते है और ना के केवल मिठाइयाँ।
  • यहां पशु बली की भी परम्परा है जो भक्त धन्यवाद स्वरूप भगवान भैरव को समर्पित करते है।
  • यहां श्वान पूजे जाते है क्योंकि श्वान भगवान काल भैरव को अति प्रिय है।


कालभैरव मंदिर कैसे पहुँचे:


भेरूजी मंदिर बीकानेर रेलवे स्टेशन से 26 किमी की दूरी पर है। बस या टैक्सी से 1 घण्टे का समय लगता है पहुँचने में। बीकानेर शहर से भी लगभग इतना ही समय लगता है मंदिर पहुँचने में ।


मंदिर का समय:


मंदिर दर्शन के लिए सुबह 5 से रात 9 बजे तक खुला रहता है। 


आशा है कि जब भी आप बीकानेर पधारे तोह इस कम जाने माने भगवान काल भैरव के धाम में अवश्य हहाजिरी लगाएंगे ।


।। जय बाबा कालभैरव ।।

।। हर हर महादेव ।।

🙏🕉️🌷🌿🚩🔱
 

✒️ स्वप्निल.अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


 
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9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर पोस्ट और जानकारी । तांत्रिक दृष्टि से भी कोडमदेसर के भेरूजी बहुत उत्कृष्ट हैं। बहुत से भक्तजन भूत प्रेत तंत्र आदि समस्या निवारण हेतु भी भेरूजी के समक्ष मनोकामना लेकर आते हैं।
    जय बाबा की

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  2. राजस्थान के इस अद्भुत बाबा काल भैरव मंदिर के विषय में लिखी गई आपकी यह लेख प्रशंसनीय है ।
    जय श्री काल भैरव 🔱🚩🙏
    हर हर महादेव 🔱🚩 🙏

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  3. बहुत सुन्दर जानकरी

    जवाब देंहटाएं

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