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सोमवार, 7 अगस्त 2023

तिरुपति बालाजी मंदिर, जम्मू

जम्मू की तवी नदी के शांत किनारों और शिवालिक पहाड़ियों 15 जून 2023 जम्मू के हिन्दू रहवासियों और बाहर से आनेवाले पर्यटकों के दर्शन के लिए भारत और राज्य सरकार के समर्थन के साथ खोल है गया है आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश का एक सबसे प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है जो भगवान वेंकटेश्वर का निवास स्थान है। देश में आंध्र प्रदेश के बाहर प्रभू तिरुपति बालाजी के अब कुल छः मंदिर बन चुके हैं। 


बालाजी मंदिर, जम्मू

 

मंदिर:


मंदिर में प्रमुख देवता भगवान वेंकटेश्वर है औऱ साथ में भगवान शिव, गणेश और माँ दुर्गा की प्रतिमाएं भी हैं। जम्मू कश्मीर में मंदिर बनाने का प्रमुख उद्देश्य में विविधता और पर्यटन को बढ़ावा देना। आंध्र प्रदेश के तिरुमला बोर्ड द्वारा मंदिर संचालित है और 45 पुजारी पंडितों द्वारा मंदिर का उद्घाटन और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की गई है। 


जम्मू के सिध्रा क्षेत्र में 62 एकड़ में बनाया गया है और लागत 30 करोड़ से ज्यादा की रुपये बताई गई है। भगवान बालाजी की कूप 2 प्रतिमाएं, 8 और 6 फ़ीट की लगाई गई हैं। इनमें 6 फ़ीट की प्रतिमा मंदिर के गर्भ गृह में और 8 फ़ीट गर्भ गृह के बाहर स्थापित है। मंदिर में पत्थर कर्नाटक और आंध्र से लाये गए थे। 

                   
    


         


"भगवान व्यंकटेश बालाजी" की आंखों पर पट्टी हफ्ते के 6 दिन बंधी रहती है और गुरुवार को, जो कि भगवान विष्णु का दिन है इसी दिन यह पट्टी खुली रहती है। यह नियम सारे बालाजी मंदिरों में अनुसरित किया जाता है। यह मान्यता है कि भगवान बालाजी के नयनों में अत्यंत प्रकाश होता है।

 


      


'मंदिर के मंडप में कदम रखने के पूर्व श्रधालुओं से मंदिर अनुरोध करता है कि अपने फोन बंद करके रखें या बाहर ना निकाले।'


मंदिर पुजा समयसारिणी

इन्हें भी देखें:

      


तिरुपति बालाजी कैसे पहुँचे:


जम्मू से वैष्णदेवी जाते समय सिध्रा होते हुए श्रद्धालु दर्शन कर सकते है। 


मंदिर से जम्मू तवी स्टेशन की दूरी 12 किमी जो 15 से 20 मिनट में पूरी की जा सकती है। टैक्सी, प्राइवेट कैब और बस दिन के हर समय उपलब्ध रहती है। 

जम्मू तवी स्टेशन से दिल्ली, पंजाब, हरयाणा, हिमाचल, और कश्मीर, लेह-लद्दाख, सभी बेहतर रोड और रेल मार्ग से जुड़े हुए है जिससे उत्तर भारत के वासी बालाजी के इस अनुपम तीर्थ से धन्य हो सकते हैं। 


             


।। ॐ नमो वेंकटेशाय ।। 


🙏🕉️🌷🚩🙏


✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:-




शुक्रवार, 5 मई 2023

बावे वाली माता मंदिर(Bagh-e-Bahu), जम्मू

इतिहास

 बावे वाली माता मंदिर के रूप में प्रसिद्ध महाकाली मंदिर एक ऊंचे मंच पर बनाया गया है और इसमें देवी महाकाली की एक काले पत्थर की मूर्ति है। काली माता मंदिर बहू किले के परिसर के भीतर बनाया गया है, जो शक्तिशाली तवी नदी को देखता है। आसपास के वन क्षेत्र को "बाग-ए-बहू" के रूप में जाना जाने वाला एक सुंदर पार्क में बदल दिया गया है। मुगल उद्यानों से प्रभावित, पार्क जम्मू शहर का शानदार दृश्य प्रदान करता है। एक नवनिर्मित मछलीघर भी एक अतिरिक्त पर्यटक आकर्षण है। किले का निर्माण लगभग 3000 साल पहले राजा बहुलोचन ने करवाया था।

मंदिर को माता वैष्णोदेवी मंदिर के बाद दूसरा माना जाता है। इस क्षेत्र की आध्यात्मिक आभा में डूबने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्त जम्मू जाते हैं। लगभग 3.9 फीट ऊंचे मंच पर सफेद संगमरमर का उपयोग करके निर्मित, इस मंदिर में काले पत्थर में देवी महाकाली की मूर्ति है। यह अंदर से एक छोटा मंदिर है इसलिए समय पर कुछ ही भक्त प्रवेश कर सकते हैं।

बावे वाली माता काली


काली माता मंदिर की कथा और इतिहास (बावे वाली माता मंदिर)

माना जाता है कि महाराजा गुलाब सिंह के सत्ता में आने के कुछ समय बाद 1822 में 8वीं शताब्दी के दौरान मंदिर का निर्माण किया गया था। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि लगभग 300 साल पहले, देवी महाकाली पंडित जगत राम शर्मा के सपने में प्रकट हुईं और उन्होंने पहाड़ी की चोटी पर एक पिंडी या पत्थर के रूप में अपनी उपस्थिति के बारे में बताया। उसके कुछ ही समय बाद एक पत्थर मिला और पहाड़ी पर एक मंदिर बनाया गया। कहा जाता है कि काला पत्थर जो देवी का प्रतीक है, अयोध्या से सौर वंश के राजाओं, राजा बहू लोचन और राजा जम्बू लोचन द्वारा मंदिर के निर्माण से बहुत पहले प्राप्त किया गया था।

मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था इसलिए यह एक नया मंदिर प्रतीत होता है। अतीत में पशु बलि का व्यापक रूप से अभ्यास किया जाता था, लेकिन आजकल मंदिर के पुजारी कुछ अनुष्ठान करते हैं और एक भेड़ या बकरी को बलि के प्रतीकात्मक प्रस्तुति के रूप में मुक्त करने से पहले उस पर पवित्र जल छिड़कते हैं। इस अनुष्ठान को शिल्ली चरण के नाम से जाना जाता है। अब मंदिर में बलि किये गए भेड़ को प्रसाद के रूप में नहीं बांटा जाता और इसके स्थान पर केवल मिठाई, फल या मुरमुरे का प्रसाद बांटा जाता है।

"मंदिर में विराजी माता काली के प्रति जम्मू वासियों की मान्यता है कि माता ही उन्हें पाकिस्तान द्वारा हवाई हमलों से बचाती आयी है "। 

भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद देवी को कड़ाह के रूप में जाना जाने वाला एक मीठा हलवा चढ़ाते हैं। मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर के महीने में प्रत्येक नवरात्र के दौरान साल में दो बार काली माता मंदिर में बहू मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। सप्ताह में दो बार मंगलवार और रविवार को यहां विशेष पूजा भी की जाती है। 

हर सुबह कुंवारी कन्याएं यहां अपनी मनोकामनाएं पूरी करने माँ काली को लाल चुन्नी, चूड़ियाँ, मिठाई और कपड़े दान करती है ।

वैष्णोदेवी, सुधा देवी और शिव मंदिर आनेवाले भक्तों ने हाल ही में इस मंदिर में आना भी शुरू कर दिया है हाल ही के सालों में । बाहू किले के पास बाबा अंबू की एक समाधि भी इसके प्रशंसकों, विशेषकर खजुरिया ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई है।

नवरात्रों के बीच, आम लोगों को देवी महाकाली के दर्शन करने के लिए कम से कम 4 से 6 घंटे या उससे भी अधिक समय तक बैठना पड़ता है।


सावधनियाँ और नियम :


यहां पर्यटकों और भक्तों को रेसस प्रजाति के बंदरों की टोलियां भी दिखेंगी । यह बंदर बहुत उपद्रवी किस्म के हैं । अनाज, फल ओर मंदिर आनेवाले भक्तों के हाथों से कोई भी खाद्य वस्तु छीनकर भाग जाते हैं ।


मंदिर के भीतर काले चस्मे, टोपी और किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रिक उपकरण लेके जाना निषेध है । यह सब बाहर जमा कराने की व्यवस्थता भी मंदिर ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध है ।


इन्हें भी देखें:


- तिरुपति बालाजी मंदिर, जम्मू

कैसे पहुंचे :

मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 13.5 किमी दूर है। लगभग सभी एयरलाइंस दिल्ली, श्रीनगर, चंडीगढ़ और लेह जैसे प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए नियमित उड़ानें संचालित करती हैं। 

रेल द्वारा जम्मू तवी जम्मू का प्रमुख रेलवे स्टेशन है और मंदिर के सबसे नजदीक है। भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और त्रिवेंद्रम से नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। मंदिर रेलवे स्टेशन से लगभग 5.5 किमी की दूरी पर स्थित है। 

सड़क द्वारा जम्मू एक व्यापक बस और टैक्सी नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निजी पर्यटक बसें जम्मू और दिल्ली, मनाली, अमृतसर, शिमला और लुधियाना जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के बीच चलती हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए जम्मू शहर से टैक्सी किराए पर ली जा सकती है जो जम्मू शहर के केंद्र से 5 किमी की दूरी पर है ।

।। जय बावे वाली माता ।। 🙏🕉️🌷🌿🚩🔱

✒️ Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)






 

तवी नदी

बाघ-ए-बहू मछली घर(aquarium) के ऊपर

बहू किला



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यमशिला का रहस्य

  भगवान जगन्नाथ की पृरी मंदिर सदियों से रहस्यों से भरा हुआ है। जगन्नाथ मंदिर को साक्षात वैकुंठ धाम भी कहा जाता है क्योंकि मंदिर में एक बार भ...