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रविवार, 21 जनवरी 2024

जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर, राजस्थान

जगत शिरोमणि मंदिर राजस्थान के आमेर के प्रमुख धार्मिक और ईतिहासिक विरासतों में से एक है जिसका इतिहास जयपुर की सीमा के बाहर सर्वजन के ज्ञान में नहीं है।

मध्यकालीन इतिहास:


आमेर के राजा सेनापति मानसिंह और उनकी पत्नी द्वारा जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इन दोनों का एक पुत्र हुआ जिसका नाम था जगत सिंह। जगत सिंह 18 वर्ष की आयु में एक युद्ध के लिए निकल पड़े। युद्धभूमि मे जाते समय कुछ हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी। अल्प आयु में अपने इकलौते पुत्र को खोने के वियोग में रानी कनकवती ने उसकी स्मृति में एक भव्य इमारत बनाने को सोची। वासुदेव श्रीकृष्ण की उपासक रानी ने भगवान श्री कृष्ण को समर्पित यह मंदिर बनवाया। सन् 1599 से 1608 के बीच मंदिर बनकर तैयार हुआ।


श्रीकृष्ण-मीराबाई



जगत शिरोमणि मंदिर:


मंदिर का नामकरण रानी के पुत्र जगत और श्री कृष्ण के एक और नाम शिरोमणि से मिलाकर रखा गया है। आमेर के पुरातन मंदिरों में से एक जगत शिरोमणि मंदिर राजपुताना महामेरू वास्तुकला में बना है। इसमें मकराना से मंगवाए गए सफेद और मलाई रंग के संगमरमर का उपयोग किया गया है। मंदिर में एक बरोठा, मंडप, स्वर्ग मंडप और गर्भ गृह है। मंडप दो मंजिला जिसके दो भाग एक दूसरे को काट रहे है। आमेर की मुख्य सड़क से मंदिर का मुख्य द्वार सम्पर्क में है। तथा राज महल से मंदिर के पीछे बने द्वार तक भी एक दरवाजा जुड़ा है। 

     
      


छत पर मंदिर के सामने भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ देव बने हुए हैं। गर्ब ग्रह के द्वार पर विष्णु जी के दशावतारों और निवास, क्षीरसागर का दृश्य मंदिर को को दिव्यता प्रदान करता है। बाहर खड़े विष्णु जी के द्वारपाल जय-विजय शिल्पित हैं। भगवान श्री कृष्ण उरुश्रृंगों और कर्णश्रृंगों से क्रमबद्ध सुशोभित है। मंदिर बनाने में उस समय के मूल्य अनुसार 9 लाख रुपये का खर्च आया था। जगत शिरोमणि मंदिर के द्वार पर ऊंचा भव्य तोरण बना हुआ है जिसपे देवी देवता और दो हाती आगन्तुकों का स्वागत करती मुद्रा में देखे जाते हैं। 


स्वर्ग मंडप
स्वर्ग मंडप



"श्री कृष्ण के साथ अमूमन राधा रानी या रुक्मिणी/सत्यभामा बगल में दिखती हैं। किंतु इस मंदिर में उनकी परम भक्त मीराबाई साथ में विराजी हैं।"



मंदिर महत्व:


जगत शिरोमणि मंदिर के बारे में माना गया है कि गर्भ-गृह में श्री हरि का वही विग्रह प्रतिष्ठित है जिसकी मीराबाई 600 वर्ष पहले पूजा किया करती थी। आखरी समय मे मीराबाई द्वारका में इसी श्री कृष्ण के विग्रह के साथ देखी गयी थी। और मीराबाई की देह इसके पश्चात् नहीं मिली सो माना यही गया कि कृष्ण के प्रेम में वे देह सहित वैकुंठ प्रस्थान कर गयी या विग्रह में समा गई थी मीराबाई के विग्रह होने के पीछे का कारण यह समझा गया की, क्योंकि राधा रानी या देवी रुक्मिणी का विग्रह श्री कृष्ण के बराबर रखी जाती है किंतु इस मंदिर में मीराबाई का विग्रह कृष्ण से सिमटे हुए ना हो के नीचे अलग रखी गयी है। किसी कृष्ण भक्त के साथ यह मूर्ति महाराणा प्रताप के राज्य में आ पहुंची। हल्दीघाटी के युद्ध मे मुग़ल सेना के हमलों में बचते बचाते इस मूर्ती को आमेर के सेनापति राजा मानसिंह को किसी के द्वारा प्राप्ति हुई और फिर उन्होंने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठिता की। 








जगत शिरोमणि मंदिर कहाँ है?


जगत शिरोमणि मंदिर जयपुर के आमेर में देवी सिंहपुरा में स्तिथ है। मंदिर की जयपुर रेलवे स्टेशन से दूरी 11 किमी और जयपुर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 19 किमी है। पर्यटक स्थलों के लिये प्राइवेट कैब और टैक्सी की सेवा उपलब्ध रहती है। साथ ही सरकारी बसें भी आमेर के किलों तक सुविधा प्रदान करती हैं।


✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


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