अवन्तिकापुरी उज्जैन में स्तिथ माँ हरसिद्धि मंदिर में माँ पार्वती का रूप विराजित है। उज्जैन नगरवासी उज्जैन में महाकाल को अपने पिता और माँ हरिसद्धि को नगर की रखवाली और पोषण करनेवाली मानते है।
पौराणिक इतिहास:
माँ हरसिद्धि का मंदिर एक शक्तिपीठ और सिद्धिपीठ दोनों है। उज्जैन के ही गढ़कालिका मंदिर की ही तरह यह दिव्य स्थली भी माता सति की मृत देह से बनी थी। माँ हरसिद्धि मंदिर का पौराणिक इतिहास अनुसार यहाँ माता सति की दाहिनी कोहनी गिरी थी। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार सतयुग में चंड और प्रचंड नामक असुरों ने संसार मे रक्तपात शुरू किया और कैलाश पर्वत पर आक्रमण करने की कोशिश की, तब माँ पार्वती ने दुर्गा का रूप लेकर उनका संघार किया। उस रूप को हरसिद्धि माँ के रूप में इस मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया।
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माँ हरसिद्धि |
उज्जैन नगरी से आर्यवर्त भारत के विशाल हिस्से पर राज करनेवाले राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी माँ हरसिद्धि हैं। इस शक्तिपीठ में विक्रमादित्य एक साधारण मनुष्य से परम् प्रतापी राजा के रूप में इतिहास में जाने गए और विश्वपटल पर अमिट छाप छोड़ी। माँ की ऐसी असीम कृपा के धनी थे राजा जी जिन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। विक्रमादित्य ने कुल 11 बार अपना शीश माँ के चरणों मे समर्पित किये थे। ग्यारवीं बार शीश अर्पण करने के साथ
राजा विक्रमादित्य ने अपने कठोर तप से माँ हरसिद्धि को गुजरात के पोरबंदर के हरसिद्धि गांव से उज्जैन आने की प्रार्थना की और माँ ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर इस स्थान को भी अपना ग्रह बनाया। पुजारी बताते हैं कि माँ सवेरे पोरबंदर के मंदिर में और संध्या को उज्जैन में निवास करती। इसी तालमेल से माँ को दोनों समय की आरतियां भी की जाती है।
माँ हरसिद्धि मंदिर:
हरसिद्धि मंदिर की नागर और मराठा वास्तुकला में बनाया गया है। गर्भ गृह में माता हरसिद्धि मध्य में, माँ अन्नपूर्णा दाएं और माँ महाकाली, हरसिद्धि के नीचे विराजी हैं। बाएं ओर भूरे भैरव खड़ी मुद्रा में विराजित हैं। माता को मूर्ति सिंदूर में गढ़ी हुई दुर्बोध्य आभा लिए हुए है।
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देवी महामाया मंदिर गुफा |
मंडप ग्रह में 51 देवियों के चित्र, नाम और मंत्र के बीज आक्षर समेत चिन्हित है। भारत वर्ष के चुनिंदा मंदिरों में से एक मंदिर है जिसकी छत पर देवी राज राजेश्वरी षोडशी का श्रीयंत्र बना हुआ है। इससे मंदिर में आनेवाले भक्तों की प्रार्थना को अधिक आत्मिक ऊर्जा मिलती है। अत्यंत शक्तिशाली और सिद्ध है श्री यंत्र की शक्ति जिसके प्रभाव से यहां आनेवाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
मंदिर के बाहर श्री गणेश और महादेव का मंदिर भी है। सबसे पहले श्री गणेश मंदिर में आरती की जाती है। साथ ही देवी महामाया का मंदिर एक छोटी गुफा के भीतर है। इस गुफा में 2000 से ज़्यादा समय से एक ज्योति जल रही है। मंदिर के बाहर दो दीप स्तम्भ है। शिव शक्ति स्वरूप इन स्तम्भों में संध्या आरती के समय 1001 दिए प्रज्वलित किये जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर में ढोल, नगाड़े और मंजीरे के साथ कि जानेवाली आरती को लेकर व्याकुल दिखाई देते हैं।

आरती समय:
हरसिद्धि मंदिर में सबसे प्रथम श्री गणेश, दूसरी कर्कोटेश्वर महादेव और तीसरी माँ हरसिद्धि की आरती की जाती है। आरती का समय संध्या 6 से 7:30 के बीच है।
✒️स्वप्निल. अ
(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)
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