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मंगलवार, 2 मई 2023

श्री महालक्ष्मी मंदिर, नागपुर

इतिहास:

कोराडी का पुराना नाम झाकापुर था जिसपे राजा झोलन राज किया करते थे। राजा के सात बच्चे थे और सारे के सारे लड़के । लड़कों का नाम था जनोबा, नानोबा, बनोबा, बैरोबा, खैरोबा, अग्रो, और दातासुर। एक भी कन्या रत्न ना होने के कारण राजा दुःखी रहा करते थे। कुछ समय पश्चात राजा ने अपनी रानी गंगासागर के साथ देवताओं को प्रसन्न करने हेतु एक यज्ञ और पूजा अनुष्ठान किया जिससे उन्हें एक कन्या रत्न की प्राप्ति हुई । इस कन्या के मुख पर एक दिव्य तेज था । कन्या के होने पर सम्पूर्ण नगर में खुशहाली छा गयी । प्रजा पहले से और ज़्यादा सुखी सम्पन रहने लगी। (इसिलए यहां आनेवाले भक्त जो निसंतान है वे संतान प्राप्ति का वर अवश्य मांगते है।)

आई महालक्ष्मी, कोराडी

यह कन्या जैसे-जैसे बड़ी होने लगी वैसे वैसे राजा और रानी को अपनी कन्या की दिव्यता का आभास होना शुरू हो गया।

फिर एक बार जब पड़ोसी नगर किराड़ ने झाकापुर पर हमला कर दिया तब राजा की दिव्य कन्या ने राजा और उनकी सेना का मार्गदर्शन किया और अपने नगर वासियों की रक्षा की ।

लड़ाई के पश्चात एक संध्या पर इस कन्या ने अपने दिव्य रूप के दर्शन दिए और जिस स्थान पे दर्शन दिए उसी स्थान पर कोराडी देवी मंदिर स्थित है।

मंदिर:

मंदिर परिसर का निर्माण हाल ही के चार वर्षों में नागपुर महानगर पालिका द्वारा संपन्न हुआ है । मंदिर की शोभा इसके प्रांगण ओर मंदिर के अंदर बनाया गया भव्य चांदी का दरबार है। मंदिर की नक्काशी राजस्थान के धौलपुर से बुलाये गए कारीगरों द्वारा की गई है।

मूर्ति (मूर्ति) को 'स्वयंभू' माना जाता है - भौतिक, क्योंकि इसे स्थापित नहीं किया गया था।

मंदिर में माता जगदम्बा का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है। ऐसा माना जाता है कि कोराडी मैय्या सुबह बालिका, दोपहर में एक स्त्री और श्याम होते एक प्रौढ़ बुज़ुर्ग का रूप धारण कर लेती है। 



 


कोराडी मंदिर को एक शक्तिपीठ के रूप में भी माना गया है । हर साल नवरात्र के समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और साथ ही मेले का आयोजन भी किया जाता है । भक्त अपनी समस्त मनोकामना हेतु मंदिर में नवरात्र के समय घटस्थापना भी करते है।

आप जब भी नागपुर पधारे तोह माता के चरणों मे शीश झुखाने अवश्य आएं।

इन्हें भी देखे: 

श्री राम मंदिर, रामटेक, नागपुर

महालक्ष्मी मंदिर कैसे पहुँचे :

कोराडी मंदिर नागपुर रेलवे स्टेशन से 18 और नागपुर के बाबासाहब अंबेडकर एयरपोर्ट से 22 किमी की दूरी पर स्तिथ है। 

नागपुर - छिंदवाड़ा के लिए जाने वाली बस सेवा दिन के समय में उपलब्ध रहती है। इसके साथ ही टैक्सी सेवा भी एक न्यूनतम किराए पर आप ले सकते है। 

मंदिर दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त समय फाल्गुन या चैत्र नवरात्र के महीने सबसे अच्छा समय होता है। 




|| जय माता जगदम्बा || 

🙏🕉️🌷🌿🚩🔱🙏

✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)

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2 टिप्‍पणियां:

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