यूं तो भगवान श्रीराम भक्त हनुमान के देश में कई और विदेशों में कुछ मंदिर है, किंतु भारत के गांवों दराजों में ऐसे मंदिर है जिनकी खबर किसी को नहीं होगी। ऐसा ही एक मंदिर छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर के निकट रतनपुर में स्तिथ है जहां बजरंगी देवी रूप में विराजते हैं। भगवान हनुमान का यह मंदिर त्रेतायुगीन माना गया है।
गिरजाबंध हनुमान मंदिर पौराणिक इतिहास:
गिरजाबंध हनुमान मंदिर का इतिहास 10000 वर्ष तक का माना गया है। किंतु प्राप्त जानकारी के अनुसार रतनपुर में एक राजा हुए पृथ्वीदेवजू।
राजा अपने जीवन से निराश थे। प्रजा के प्रति सेवा नहीं दे पाने और अपने कोढ़ रोग से पीड़ा कारण था। अचानक एक रात्री राजा को स्वप्न में बजरंग बली ने देवी रूप में दर्शन दिया। राजा को प्रभू ने उसी रूप में दर्शन दिये जिस रूप में मूर्ति देवालय में आज विराजित है।
राजा को बजरंगबली ने प्रथम दर्शन में तालाब में ढूंढने के लिए कहा। पृथ्वीदेवजू ने तालाब के भीतर मूर्ति ढूंढने का प्रयास किया किंतु मूर्ति मिल नहीं सकी। दूसरी बार हनुमत फिर स्वप्न में प्रकट होकर राजा को मूर्ति का स्पष्ट रूप बताया।
भगवन का मूर्ति में साक्षात्कार से राजा पृथ्वीदेवजू हर्षित हुए। कोढ़ की बीमारी के अंत के लिए केसरीनन्दन ने उसी तालाब में डुबकी लगाने के लिए भी कहा था। राजा ने तालाब में स्नान कर कोढ़ रूप से मुक्ति पाई और धन्य हुए। वही जल कुंड गिरजाबंध मंदिर के बगल में है।
सनातन भारत वर्ष का यह रतनपुर स्तिथ मंदिर एक मात्र ऐसा धाम है जहां बजरंगबली स्त्री या देवी रूप में पूजे जाते हैं।
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गिरजाबंध मंदिर सरोवर विहंगम दृश्य |
पौराणिक कथा अनुसार जब लंका विजय के समय रावण का सौतेला भाई अहिरावण प्रभू श्री राम और अनुज लक्ष्मण को पाताल में लेकर जाता है। हनुमान जी पाताल की ओर जाते है। वहां वह प्रभू को अपनी अधिष्ठात्री देवी माँ निकुम्भला को बलि चढ़ाने देने वाला होता है। अहिरावण उस समय वहां नहीं होता। उसी समय बजरंगबली देवी की मूर्ति का स्थान ले लेते हैं।
जब अहिरावण आता है तो उसका संहार कर प्रभू श्री राम और लक्ष्मण को लेकर लंका के लिए निकलते है।
➡️ प्रभु श्रीराम का ननिहाल चंदखुरी, रायपुर, छतीसगढ़
➡️ डॉ हनुमान मंदिर, भिंड, मध्यप्रदेश
गिरजाबंध मूर्ति विवरण:
हनुमान जी की यह देवी रूप में मूर्ति पर वाम कंधे पर श्रीराम और दाएं कंधे पर लक्ष्मण जी बैठे है। यह हनुमान विग्रह दक्षिण मुखी है। श्री हनुमान पैरों के नीचे निशाचरों को दबाए हुए है।
भक्तों को श्री हनुमान का यह रूप अचंभित और मोहित दोनों ही करता है। भक्तों की साफ मन से मांगी गई मन्नत प्रभू अवश्य पूरी करते हैं। गिरजाबंध मंदिर को यहां के निवासी एक सिद्धपीठ भी मानते हैं।
🙏🚩सीताराम 🚩🙏
- स्वप्निल. अ