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शनिवार, 30 सितंबर 2023

मालिनी थान मंदिर, सियांग, अरुणाचल प्रदेश

 प्रदेशनातन भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में के सियांग जिले में एक दिव्य अनुभूति से परिपूर्ण कर देने वाला मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित है। 


पौराणिक कथा:


प्राचीन मान्यता अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी के साथ द्वारका जा रहे थे तब यहां माँ पार्वती और भोलेनाथ यहाँ ध्यान में लीन थे। माँ पार्वती ने भगवान शिव सहित कृष्ण-रुक्मिणी का स्वागत फूलों की माला के साथ किया। श्रीकृष्ण प्रसन्न हो माता पार्वती को मालिनी बुलाने लगे। मालिनी का अर्थ बगीचे की रानी। उस काल से इस मंदिर में माता पार्वती मालिनी रूप में निवास करती है। 


मालिनीथान मंदिर (जीर्णोद्धार हुआ)

इतिहास:


मालिनी थान मंदिर चुतिया वंश के राजाओं ने निर्माण करवाया था। यह मंदिर द्वापरयुगीन है और इसके अवशेष 900 वर्ष पुराने है। एक विस्मय कर देने वाली बात है कि यहीं से 12 किमी दूर आकाशगंगा शक्तिपीठ सदैव सनातन धर्मविलम्बियों की दृष्टि ने रहा किंतु मालिनीथान मंदिर इतिहास की गहराइयों में लुप्त हो गया। 


मंदिर के अस्तित्व का पता एक भारतीय सेना के अफसर ने लगाया था जिसे माँ ने स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे। फिर पुरातत्व विदों की टीम ने मंदिर को ढूंढना शुरू किया और ठीक इसी स्थान पर मंदिर मिला। भारतीय पुरातत्व डिपार्टमेंट ने यहां अपना बसेरा बनाकर शोध कार्य शुरू किया। मंदिर में 1968 से लेके 1971 तक खुदाई चली। आज भी मंदिर मंदिर क्षेत्र में काफी मात्रा में मूर्तियां, मंदिर दरवाजे, शिवलिंग, स्तम्भ के अवशेष मिलते है। 








मंदिर: 


 ओडिसा की मंदिर वास्तुकला शैली में मंदिर बनाया गया है। मंदिर अवशेषों में मिले लोहे के गिट्टक सादिया के तमरेश्वरी मंदिर से हूबहू मिलते हैं, जिससे मंदिर को बनाने वाले कारीगर एक होना समझ आता है। 


देवी माँ को समर्पित यह प्राचीन मंदिर शोधकर्ता बतातें है शाक्त तंत्र क्रियों का स्थल था। यह बात यहां मिले मैथुन और कामुक मुद्राओं में बनी आकृति शिल्प से पता चलता है। आदिवासी कबीले प्रकृति को अपनी माँ और प्रजनन शक्ति रूप में पूजते थे। आदिवासियों द्वारा देवी केचइखेती (Kechaikheiti) की पूजा की जाती थी।

 


मालिनी थान मंदिर से 600 मीटर की दूरी पर रुक्मिनी थान है जहां दर्शक संग्रहालय में मंदिर के सारे अवशेष देख सकते है। इन अवशेषों में मूर्तियाँ और दूसरी वस्तुएं मौजूद हैं। मंदिर के निकट ही मनमोहक आकाश गंगा झरना है जहां हर पर्यटक जाना पसंद करता है। 



 

पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर की खुदाई में मंदिर के चबूतरे की ऊंचाई 8 फ़ीट जिसपे देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ पशुओं, फूल पौधों की कला कृतियाँ उकेरी पाई गई हैं। चारों कोनों में शेर और हाथियों की नक्काशियां भी बनी हुई हैं। 


 



मालिनी थान में पांच सबसे आकर्षक नक्काशियों में जो पाई गई हैं, उनमें ग्रेनाइट की बनी ऐरावत पर देवराज इंद्र, भगवान कार्तिकेय की मयूर सवारी, सूर्यदेव का रथ, श्री गणेश और मूष और नंदी बैल की नक्काशी। एक बिना मुंड के स्त्री की मूर्ति मंदिर में देखने को मिलती है जिसके साथ भगवान शिव हैं। यह मूर्ति देवी पार्वती की है ऐसा शोधकर्ता बताते है। 


पुरातत्त्व विभाग द्वारा मंदिर के बनने का सटीक समय शुरुआत का मध्यकाल बताया जाता है। उस समय वैष्णव धर्म का प्रभाव असाम के निकटतम क्षेत्रों में अधिक था। 


मालिनी थान मंदिर कैसे पहुँचे:


मालिनीथान मंदिर पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन  सिलापथार, आसाम का है। सिलापथार स्टेशन से मंदिर के लिए सरकारी बस और प्राइवेट सेवा उपलब्ध रहती हैं।

राजधानी ईटानगर से भी बस सेवा उपलब्ध रहती है। 


सबसे करीबी हवाई अड्डा दिबरूगढ़ हवाई अड्डा है। यही अलोंग में एक हेलीपैड भी बना हुआ है| यहाँ से बस सेवा सुचारु रूप से शुरू रहती है।

 

 ✒️Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)



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