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रविवार, 3 दिसंबर 2023

ओ. पी बाबा मंदिर, सियाचीन

बाबा हरभजन सिंह के नाम की कहानी और  गुरुद्वारे के बारे में सब परिचित थे पर देवतुल्य हो चुके ओ. पी. बाबा के बारे बहुत कम हिन्दू परिचित थे।


ओ.पी. बाबा

भारत वर्ष और सनातन धर्म इतिहास मैं सदैव से ऐसे पुरुषार्थी वीर हुए हैं जो दुश्मनो से लड़कर वीरगती को प्राप्त हो संत और ईश्वर जैसा स्थान प्राप्त किया हो। इसका उदाहरण छत्रपती शिवाजी महाराज, वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप, गुरु गोबिंद सिंह, वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई हैं। 


पूज्य मातृभूमि की स्वतंत्रता के बाद कुछ वीर ऐसे भी हुए जिन्हें उतनी ख्याती और सत्कार नहीं मिल पाया या इतिहास के पन्नों में खो गये। भारतीय थल सेना में ऐसे वीर हुए हैं जिन्होंने हिमालय की चोटियों पर विषम परिस्थितियों में अपने प्राण गंवा दिए। 





एक ऐसे ही वीर थे जिनका नाम था ओम प्रकाश सिंह। इन्हें अब बाबा ओम प्रकाश कहा जाता है। इनका एक मंदिर सियाचीन में लगभग 20000 फ़ीट की ऊंचाई पर है। भारतीय सेना की 62 टुकड़ियाँ तैनात है और तकरीबन 10000 से ज्यादा सैनिक यहां पहरा देते है। यहां सेना के जवान हर पल दुश्मन पर कड़ी नजर रखे हुए खड़े रहते हैं। किंतु दुश्मन से कहीं अधिक, यहां मौसम से सैनिकों की जान जाती है। सन् 1980 के शुरुआती सालों में ओ.पी. सिंह नाम के एक सैनिक सियाचीन के इस बर्फीले रेगिस्तान में पहरा दे रहे थे फिर उसके बाद वे लापता हो गए।  उनकी मौत की कभी कोई आधिकारिक पुष्टि आज तक नहीं हो पाई और नाहीं मृत देह की प्राप्त हुई।


मंदिर गेट


किंतु कुछ वक्त बाद यहां तैनात बाकी सिपाहियों को वे सपने में दिखाई देने लगे। सपनों के जरिये वे आनेवाले बर्फीले तूफान का हाल और मौसम का मिजाज पहले ही बता देते। और तो और अगर भूल चूक से कोई सैनिक रास्ता भूल जाये तो उसे सही रास्ता भी बता देते। सेना के उच्च अधिकारियों को पहले यह यकीन नहीं हुआ किंतु जब एक बाद ऐसी घटनाएं होने लगी तो एक अलौकिक शक्ति का विश्वास उन्हें भी होने लगा। 


मंदिर आरती




1996 में ओम् प्रकाश बाबा का मंदिर एक कुटिया में बना दिया गया और 2003 आते-आते पक्के मंदिर स्वरूप भी पूर्ण हुआ।। 


बाबा की मूर्ति



बाबा के प्रति आभार का आलम ऐसा है कि सियाचीन में पोस्ट होने वाला जवान जब यहां आता है और जाता है, दोनों ही बार बाबा का आशिर्वाद लिए बगैर आगे नहीं बढ़ता है। भारतीय सेना सियाचीन में सीमा पर हो रही किसी भी निर्णय के पहले बाबा को रक औपचारिक रिपोर्ट भेजती है वैसे ही जैसे सेना के किसी जीवित अधिकारी को करती हो। 


इस मंदिर में हिन्दू धर्म के देवी देवताओं भी ओ. पी. बाबा के साथ विराजे हैं। किंतु भारतीय सेना और राष्ट्र के सेकुलरवाद को देखते हुए इस्लाम, ईसाई, सिख और बौद्ध, जैन धर्मों के भी चिन्ह आदर के साथ रखे गए हैं। 


बाबा द्वारा पहनी वरदी


ओ.पी. की यहां दोनो वक़्त आरती और पूजा की जाती है। मंदिर भारतीय सेना के नियंत्रण में होने और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने की वजह से इसे आम जनता के लिए नहीं खोला गया है। 



।। जय हिंद ।। 

🙏🇮🇳🚩🙏


✒️ स्वप्निल. अ

 


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)







 

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