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बुधवार, 27 दिसंबर 2023

टपकेश्वर महादेव, देहरादून, उत्तराखंड

पौराणिक कथा:

टपकेश्वर महादेव में स्वयम्भू शिव लिंग रूप में विराजमान हुआ था। इसकी कथा कुछ भी स्पष्ट अनुमान नहीं है। केवल इतनी जानकारी मिलती है कि सबसे पहले देवता और फिर ऋषि मुनियों ने बारी-बारी लंबे अंतराल पर यहाँ आकर तपस्या की और भोले को प्रसन्न किया। द्वापरयुग के आगमन पर गुरु द्रोण ने महादेव की कठोर साधना की और महादेव ने दर्शन दे कर गुरु द्रोण को धनुर्धर बनने का वरदान दिया। इसी के साथ ही भगवन जगत कल्याण के उद्देश्य से इस स्थान पर पिंडी रूप में विराजित हो गए। तब से इस गुफा को द्रोण गुफा कहा जाता है।


कई वर्षों की अवधि बीत जाने पर भी जब द्रोणाचार्य को संतान प्राप्त न हुई तो एक आकाशवाणी में उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशिर्वाद भगवान ने दिया। यह शिशु बाकी शिशुओं की तरह रोया नहीं बल्कि अश्व की भांति  निन-निहाया सो नामकरण अश्वत्थामा रखा गया। 

अश्वत्थामा ने बालपन में दूध नहीं चखा पर एक दिन किसी ऋषि के घर से दूध का सेवन कर वापिस आने के पश्चात अपनी माता से दूध पीने का हट करने लगे तो माता ने कहा जा शिव से ले ले। हटी अश्वत्थामा ने भी माँ की गुस्से भरी बात को गम्भीरता पूर्वक लिया। अपने पिता की आराधना स्थली पर आकर तपस्या की। भोले शंकर ने दर्शन देकर अश्वत्थामा को चिरंजीवी होने और इस स्थान पर दूध की प्राकृतिक उत्तपत्ति का वरदान दिया।


           
टपकेश्वर महादेव


टपकेश्वर मंदिर: 


मंदिर प्रवेश के पहले फूल पूजा सामग्री की दुकानों के पास ही एक प्राचीन दुर्गा मंदिर है जिसके दर्शन् किये बगैर आगंतुक महादेव मंदिर में नहीं जाते। मंदिर के गेट के बाद भगवान कालभैरव का मंदिर आता है। मंदिर भवन के बाहर भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति खड़ी मुद्रा में विराजित है। टपकेश्वर महादेव शिवलिंग इस गुफा के अंदर विराजित है। 

  मंदिर की गुफा में शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से गुफा के पत्थरों से पानी टपकता रहता है जैसे स्वयं इंद्र आदि देवता प्रभू का जलाभिषेक करते हों। 


टपकेश्वर महादेव के पौराणिक महत्त्व के कारण इसे दूधेश्वर, देवेश्वर और तपेश्वर भी कहा गया है। 


गढ़ी कैंट क्षेत्र में मौसमी छोटी तोमसू/देवधारा नदी की अविरल धारा बहती है। मॉनसून आने पर यह नदी उफान पर होती है। यह नदी मसूरी से प्रकट होती है। और देहरादून के प्रेम नगर में लुप्त हो जाती है। 

                          

 

टपकेश्वर महादेव मंदिर के भीतर कुल मिलाकर कालभैरव, राधेकृष्ण, माँ दुर्गा और वैष्णोदेवी मंदिर के विग्रह प्रतिष्ठित हैं। वहीं मंदिर के बाहर पवनपुत्र हनुमान की विशाल खड़ी प्रितमा तोमसू नदी को ऊपर से देखते हुए सुसज्जित है।


त्यौहार:


श्रावण के महीने में मंदिर पूजा उत्सव का आयोजन मंदिर के सहयोग दलों द्वारा आयोजित कीट जाता है। मंदिर के देवी देवताओं को हरिद्वार ल् जाकर स्नान कराया जाता है और वापिस मंदिर लेकर शोभायात्रा देहरादून में निकाली जाती है। 




महाशिवरात्रि पर महाप्रसाद किया जाता है। इस मबदिर में मनाई जानेवाली महाशिवरात्रि की सबसे अद्धभुत बात यह है कि यहाँ भांग के पकौड़े और जूस का प्रसाद वितरित किया जाता है। 


होली पँचमी पर "हमारी पहचान" नामक एक ड्रामा ग्रुप द्वारा मंदिर परिसर में नाटक का आयोजन किया जाता है। 


तोमसू नदी

बजरँगबली मूर्ति


टपकेश्वर मंदिर कैसे पहुँचे:


 टपकेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ता बहुत आसान है। मंदिर गढ़ी इलाके के टपकेश्वर कॉलोनी के निकट है।

ट्रेन से टपकेश्वर महादेव पहुँचने के लिए देहरादून तक कई एक्सप्रेस ट्रेनें उपलब्ध है। बाय रोड पहुंचने के लिए प्राइवेट वॉल्वो बस सेवा और प्राइवेट टैक्सी भी उपलब्ध रहती है।  देहरादून का जॉलीग्रांट हवाई अड्डा मंदिर से 27 किमी की दूरी पर है।



✒️स्वप्निल. अ


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


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